बिलासपुर: एक किसान के दो बैलों के दिए गोबर पर बवाल मच गया है। दो बैल वाले किसान ने गोठान में एक हफ्ते में 12 हजार 800 रुपए का गोबर बेच दिया। आंकड़ों के हिसाब से एक एक बैल रोजाना साढ़े 4 क्विंटल गोबर दे रहे थे। मामला सामने आने के बाद अब जांच की बात की जा रही है।
दो बैल रोजाना कितना गोबर दे सकते हैं ?
9 क्विंटल से ज्यादा
दो बैल के गोबर से महीने में कितनी कमाई हो सकती है ?
52 हजार से ज्यादा
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चौंकिए मत… बिलासपुर के पास एक गांव के किसान के घर के दो बैलों ने ये चमत्कार किया है। वो भी आधिकारिक रूप से। आधिकारिक इसलिए क्योंकि गोबर को जनपद पंचायत कोटा के इसी गोठान में बेचा गया है। बकायदा उसकी रसीद भी है। गोठान समिति ने उस किसान को 1 सप्ताह के 64 क्विंटल गोबर के लिए 12 हजार 800 रुपए का भुगतान भी कर दिया। अब आप सोच रहे होंगे कि ये चमत्कार है। हम भी यहीं सोच रहे हैं कि ये चमत्कार है, लेकिन अगर ऐसा है तब तो इस पर रिसर्च होना चाहिए कि दो बैलों की जोड़ी अपने वजन से ज्यादा रोज गोबर कैसे दे रही है। सवाल तो बहुत हैं.. लेकिन सच्चाई यही है कि एक किसान ने 2 रुपए किलो गोबर बेचकर दो बैल से इतनी कमाई कर ली जितनी 40 रुपए लीटर दूध बेचकर कोई किसान दो गाय से नहीं कर सकता।
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सच्चाई ये भी है कि…ऐसे 4 बैल के गोबर से इतना बड़ा गोबर गैस प्लांट चल सकता है, जिससे पूरे गांव की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो जाएंगी। ऐसे दो बैलों के गोबर की कमाई से 10% के टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। ऐसे 2-4 बैल के गोबर से पूरे गांव की खाद की जरूरत पूरी हो सकती है। ऐसे 2 बैल के गोबर से आय देश के एक औसत किसान की आय से 30 गुना ज्यादा है।
अब सवाल ये है कि एक सामान्य से बैल को उसके मालिक और अधिकारियों की मिलीभगत ने गोबर की मशीन कैसे बना दिया। दो बैलों की कथा सामने आने के बाद जनपद और जिला पंचायत के अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं।
गोबर में गोलमाल का ये सबसे बड़ा मामला तो है, लेकिन इकलौता नहीं है। दुर्ग में भी गोठान में गोबर खरीदी और खाद बनाने में धांधली को लेकर ग्राम पंचायत अंजोरा के पंचायत सचिव को निलंबित किया गया है। इससे पहले भी कई खबरें आई हैं। ये इस बात का सबूत है कि किसानों की खुशहाली के लिए बनाई गई किसी योजना को कैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जाता है।
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