पैसे दो मनचाही डिग्री लो...सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी पर लगा डिग्री बेचने का आरोप | Give money and take the degree as you want... Sarvepalli Radhakrishnan University accused of selling degrees

पैसे दो मनचाही डिग्री लो…सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी पर लगा डिग्री बेचने का आरोप

पैसे दो मनचाही डिग्री लो...सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी पर लगा डिग्री बेचने का आरोप

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:45 PM IST, Published Date : June 3, 2021/5:26 pm IST

भोपाल: पैसे लेकर मनचाही डिग्री बांटने के एक बड़े गोरखधंधे का खुलासा हुआ है। मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित सर्वपल्ली राधाकृष्णन नाम की प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर आरोप है कि उसने पैसे लेकर छत्तीसगढ़ के कांग्रेस पार्टी के विधायक के नाम पर फर्जी डिग्री जारी कर दी। जिसके नाम की डिग्री जारी की गई, उन्होंने वहां एडमिशन ही नहीं लिया। आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने लाखों रुपये जमा कराए, 10वीं और 12वीं की मार्कशीट मंगाई और बैकडेट पर डीसीए की डिग्री दे दी।

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दावा किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश की सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी ने पैसे लेकर जारी किया है। ये सर्टिफिकेट छत्तीसगढ़ के विधायक डॉक्टर विनय जायसवाल के नाम से जारी है। डॉक्टर साहब एमबीबीएस और एमएस करने के बाद प्रदेश के नामी नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। साथ ही वर्तमान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के विधायक भी हैं, लेकिन उन्हीं के नाम से डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन की डिग्री जारी होती है। निजी विश्वविद्यालय में पैसे लेकर डिग्री बेचे जाने के इस पूरे खेल का खुलासा किया है रायपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव अग्रवाल ने पूरा खेल एक्सपोज किया है।

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इसी साल मार्च में विधायक विनय जायसवाल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े का उल्लेख करते हुए उसपर कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन करीब ढाई महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में सवाल मध्यप्रदेश की सरकार पर भी उठ रहे हैं। हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री अब जांच कराने की बात कर रहे हैं।

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IBC24 ने विश्वविद्यालय के कुलपति सुग्रीव कुशवाहा से संपर्क कर इस पूरे मसले पर उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन उन्होंने बात करने से ही मना कर दिया।

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रिपोर्टर- सर आपसे मुलाकात करनी थी, एक्चुअली, छत्तीसगढ़ के विधायक हैं जायसवाल जी, तो उनकी एक शिकायत है, उन्होंने एक शिकायत भेजी है कि आपके विश्वविद्यालय से उनको डीसीए की फर्जी डिग्री….. (बात पूरी भी नहीं हुई)
कुलपति- है तो उसको बोल दीजिए, वेरीफाई हो जाएगा। हम उसको देखेंगे… तो मेरे को क्यों मिलना है आपसे? आप शिकायत भेज दीजिए, उसका जवाब दे दिया जाएगा।
रिपोर्टर- बस मैं यही चाह रहा था कि कैमरे पर एक छोटा सा इंटरव्यू हो जाता
कुलपति- नहीं कोई इंटरव्यू नहीं। काहे के लिए इंटरव्यू ? हमें नहीं देना।
रिपोर्टर- वो सीधे बोल रहे हैं सर, आपके विश्वविद्यालय का नाम लेकर बोले रहे हैं
कुलपति- अरे तो बोलते हैं, उनका काम है बोलना।
रिपोर्टर- सर, विधायक हैं वो
कुलपति- आप हमसे इंटरव्यू लेते, मैंने मना कर दिया है। आप छाप देना मैंने मना कर दिया है।
रिपोर्टर- मेरी तो कोशिश है ना कि आपसे बात करूं, आपका पक्ष आ जाए, वह सीधे तौर पर आपका नाम ले रहे हैं
कुलपति- अरे भैया हमने सुन लिया ना। आपने जो कहा हमने सुन लिया है.. हां
रिपोर्टर- तो आप अपनी सफाई नहीं देना चाहते
कुलपति- काहे की सफाई, इसमें कोई सफाई नहीं देनी।
रिपोर्टर- जी ठीक है…धन्यवाद

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एक आम युवा दिन रात पढ़ाई कर डिग्री हासिल करता है। लेकिन पैसों के लालच में अगर ऐसे ही निजी विश्वविद्यालय डिग्री के सौदागर बन जाएं तो प्रदेश के लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लग जाता है। इस खुलासे पर जांच और दोषी पर कार्रवाई के साथ ही आगे ऐसा ना हो इसके लिए भी ठोस योजना बनानी होगी।

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