राज्य में खरीफ फसलों की गिरदावरी एक अगस्त से होगी शुरू, किसानों के फसलवार क्षेत्राच्छादन के संबंध में 28 सितम्बर तक ली जाएगी दावा आपत्ति | Girdawari of Kharif crops will start in the state from August 1, claims will be taken up to September 28

राज्य में खरीफ फसलों की गिरदावरी एक अगस्त से होगी शुरू, किसानों के फसलवार क्षेत्राच्छादन के संबंध में 28 सितम्बर तक ली जाएगी दावा आपत्ति

राज्य में खरीफ फसलों की गिरदावरी एक अगस्त से होगी शुरू, किसानों के फसलवार क्षेत्राच्छादन के संबंध में 28 सितम्बर तक ली जाएगी दावा आपत्ति

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:20 PM IST
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Published Date: July 18, 2020 10:35 am IST

रायपुर। राज्य में खरीफ फसलों की गिरदावरी एक अगस्त से 20 सितम्बर तक की जाएगी। इसके पश्चात ग्रामवार फसल क्षेत्राच्छादन का प्रारंभिक प्रकाशन 21 सितम्बर तक किया जाएगा। राज्य के सभी गांवों में किसानवार, फसल क्षेत्राच्छादन का प्रकाशन कर दावा आपत्ति 28 सितम्बर तक प्राप्त की जाएगी। प्राप्त दावा आपत्ति का निराकरण कर खसरा पांचसाला एवं भुईंया सॉफ्टवेयर की प्रविष्टि में 14 अक्टूबर तक संशोधन किया जाएगा।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुरूप राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा गिरदावरी के संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया गया है। कलेक्टरों को गिरदावरी के कार्य को पूरी सतर्कता और पारदर्शिता के साथ पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं। सचिव राजस्व ने इस संबंध में कलेक्टरों को प्रेषित पत्र में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि राजस्व अभिलेखों की शुद्धता के साथ ही समर्थन मूल्य पर धान और मक्के की खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना तथा राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के अंतर्गत आर्थिक अनुदान और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सफल क्रियान्वयन गिरदावरी की शुद्धता पर निर्भर है। इसके मद्देनजर गिरदावरी शत-प्रतिशत सही और सटीक हो इस बात पर विशेष ध्यान रखा जाए।

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राजस्व विभाग के अधिकारियों को गिरदावरी के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं कि अन्य फसलों का रकबा किसी भी परिस्थिति में धान और मक्का के रकबे में शामिल न होने पाए। छत्तीसगढ़ में गन्ना, सोयाबीन, मक्का, सब्जियां, फल-फूल, सहित अन्य फसलें खरीफ सीजन के दौरान उगायी जाती है। गिरदावरी के दौरान अन्य फसलों के रकबे का धान विक्रय हेतु पंजीयन न हो यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है। गिरदावरी के दौरान पटवारी और राजस्व निरीक्षक द्वारा किसान द्वारा धारित भूमि का खसरावार फोटोग्राफ मोबाइल पर अनिवार्य रूप से लिए जाने तथा इसकों डिजीटली संबंधित राजस्व अधिकारी को अभिलेख हेतु भेजने के निर्देश दिए गए है। स्लेट में खसरा नम्बर चॉक से लिखकर खसरा नम्बर के बढ़ते अनुक्रम में फोटोग्राफ लेने के निर्देश दिए गए है। प्रत्येक खसरा नम्बर में कृषक द्वारा बोई गई फसल का विवरण भुईया सॉफ्टवेयर में अपलोड करना होगा, ताकि इसका उपयोग पंजीयन के लिए किया जा सके। खसरे में अंकित रकबे से अनुपयोगी भूमि, पड़ती भूमि, निकटवर्ती नदी-नालों की भूमि, निजी तलाब, डबरी की भूमि, कृषि उपयोग हेतु बनाए गए कच्चे-पक्के शेड आदि की भूमि को पंजीयन में से कम करने के भी निर्देश दिए गए है।

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राजस्व विभाग ने कलेक्टरों को प्रेषित पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि समर्थन मूल्य पर धान एवं मक्का की खरीदी केवल पंजीकृत किसानों से ही की जाती है। धान एवं मक्का खरीदी कार्य में कुल रकबे एवं बोए गए धान एवं मक्का के रकबे का पंजीयन किया जाता है। धान एवं मक्का के रकबे में अन्य फसलों का रकबा शामिल होने की स्थिति में धान एवं मक्का की खरीदी की मात्रा बढ़ने की आशंका रहती है। इसलिए इस काम में सावधानी एवं शुद्धता जरूरी है। गिरदावरी के दौरान विधिक व्यक्तियों द्वारा धारित भूमि एवं उक्त भूमि पर धान की खेती करने वाले वास्तविक किसानों की जानकारी भी तैयार की जाए। कृषकों से आधार नम्बर उनकी सहमति से प्राप्त करने के भी निर्देश दिए गए है, यदि किसी भी कृषक के पास आधार नम्बर नहीं है तो ऐसे कृषकों को आधार नम्बर दिलाने हेतु आवश्यक मार्गदर्शन दिया जाए।

 
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