पन्ना। कहते हैं कि मन में जज्बा और कुछ करने की इच्छा शक्ति में हो तो कोई चीज असंभव नहीं होती, यही कुछ कर दिखाया है पन्ना के जनवार आदिवासी गांव के बच्चों ने। यह बच्चे स्केटिंग मैं इतने माहिर हैं कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुके हैं इनके जज्बे को परखा जर्मन मूल की एक महिला ने इन बच्चों को खेल के गुर सिखाए और आज यह बच्चे अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इस गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
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पन्ना के आदिवासी ग्राम जनवार में सबसे अधिक बच्चे आदिवासी समुदाय से तालुकात रखते हैं लेकिन कुछ दिन तक यह गांव साधारण था लेकिन अब यह गांव खास हो गया है आदिवासी बच्चे स्केटिंग में इस तरह से जौहर दिखाते हैं कि अच्छे-अच्छे देखने वाले भी दांतो तले उंगली दबा जाएं।
दरअसल जर्मन मूल की महिला ने इन बच्चों को गांव में ही स्केटिंग पार्क बनाया है और वह इन बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेल के भी गुर सिखाती हैं और यही कारण है कि यह बच्चे देश से लेकर विदेश तक में मेडल प्राप्त कर चुके हैं।
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इनमें से एक लड़की आशा तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंग्लिश के गुर सीख रही है और वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मैं इंग्लिश पढ़ रही है साथ ही साथ उसने स्केटिंग में कई मेडल भी जीते हैं और अब उसका सपना है कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल लाए बाइट आशा आदिवासी बच्ची जनवार ग्राम।
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यही हाल अरुण नाम के आदिवासी का है घर की माली हालत भी ठीक नहीं लेकिन फिर भी स्केटिंग में इसने होशियार हैं कि चीन विशाखापट्टनम से लेकर देश के कोने कोने में खेल कर पदक जीत चुके हैं, और उनकी तमन्ना है कि वह भी देश के लिए मेडल लाएं।
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