नई दिल्ली: भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का फैसला लिया है। राष्ट्रपति भवन से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व राष्ट्रप्रति प्रणब मुखर्जी को 8 अगस्त को भारत रत्न से नवाजा जाएगा। वहीं, सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को भी भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया है।
बता दें कि भारत रत्न हिदुस्तान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है, जो असाधारण राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। मोदी सरकार ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी 2019 को भारतीय जनसंघ के विचारक और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संस्थापक सदस्यों में से एक नानाजी देशमुख, प्रसिद्ध असमिया कवि और संगीतकार भूपेन हजारिका और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के लिए भारत रत्न की घोषणा की थी।
ज्ञात हो कि नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाएगा। ज्ञात हो कि अब तक सरकार ने 45 हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है और 25 जनवरी 2019 की घोषणा के बाद यह संख्या 48 हो गई है।
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नाम भारत रत्न के नामांकित किया जाना सभी के लिए चौंकाने वाला था। राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध थे। उन्होंने ढाई साल नरेंद्र मोदी सरकार के अंतर्गत काम किया था। साल 2017 में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद से सेवा निवृत्त हो गए थे।
एक कांग्रेसी नेता के रूप में राजनीति में नई ऊंचाइयों को छू चुके मुखर्जी (84) ने पिछले साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर स्थित मुख्यालय में एक कार्यक्रम में शामिल होकर विवाद खड़ा कर दिया था। कवि, सिंगर, गीतकार और फिल्म निर्माता हजारिका का 85 वर्ष की आयु में 2011 में निधन हो गया था। उन्होंने असमिया लोक गीत और संस्कृति को हिंदी सिनेमा में लाकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी।
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इसके बाद भारत रत्न के लिए तीसरी पसंद नानाजी देशमुख एक आरआरएस प्रचारक थे, जो 60 के दशक में उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनकर उभरे थे और 1980 के दशक में भाजपा के शिल्पकारों में से एक थे। देशमुख ने दीन दयाल उपाध्याय द्वारा स्थापित एकात्म मानववाद के दर्शन को फैलाने के लिए 1972 में दीनदयाल अनुसंधान संस्थान (डीडीआरआई) की स्थापना की थी। सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद उन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए चित्रकूट परियोजना शुरू की। 27 फरवरी, 2010 को नानाजी देशमुख का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया।