भोपाल। पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत का सरकारी बंगला आज सील हो सकता है, बंगला खाली कराने के लिए कर्मचारी पहुंच गए हैं, यहां वरिष्ठ अधिकारियों के आने का इंतजार किया जा रहा है। बंगले में पूर्व मंत्री तरुण भनोत नहीं मौजदू हैं, बंगला खाली नहीं हुआ तो सील करने की तैयारी की गई है। बंगला खाली कराने के लिए 2 बार नोटिस दिया जा चुका है।
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बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने पूर्व की कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके विधायकों से बंगला खाली कराने की पूरी तैयारी कर ली है। मंत्रिमंडल के विस्तार तक यह बंगले खाली कराने की संभावना है। राज्य सरकार ने कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने का नोटिस थमा दिया है। बेदखली नोटिस में बंगला खाली करने की अवधि सात दिन तय कर दी है। तय समय पर बंगला खाली नहीं किया तो जबरन बंगले खाली करवाए जा सकते हैं। इसमें उन मंत्रियों का नाम शामिल नहीं है जो भाजपा में शामिल हो गए हैं।
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दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार चली गई, लेकिन कुछ पूर्व मंत्री अभी भी सरकारी बंगला छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे नेताओं ने अभी तक बंगले खाली नहीं किए हैं। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद नए मंत्रियों के लिए बंगलों की व्यवस्था करने के क्रम में शिवराज सरकार ने कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने के नोटिस थमाए हैं। पूर्व मंत्रियों का कहना है कि उनकी सरकार आने के बाद भी कई भाजपा के पूर्व मंत्रियों ने बंगला खाली नहीं किया था। ऐसे में कोरोना संक्रमण के समय भाजपा सरकार उनसे बंगला खाली क्यों करवाना चाहती है।
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शिवराज सरकार ने कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे नेताओं को सरकारी बंगले से बेदखल करने की पूरी तैयारी कर ली है। पूर्व मंत्रियों को बेदखली का नोटिस जारी किया गया है, यदि तय अवधि में ये पूर्व मंत्री सरकारी बंगला खाली नहीं करते हैं तो सरकार बेदखली आवास नियमों के तहत जबरन बंगले खाली करवाएगी। वहीं सरकार कहना है कि इसे पार्टी से जोड़कर न देखा जाए, ये रूटीन प्रकिया का हिस्सा है।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया को दोनों सरकारों में बंगला नहीं मिला था, सिंधिया ने सांसद होने का हवाला देते हुए सबसे पहले भाजपा सरकार से 23 मई 2018 को भोपाल में बंगला मांगा था। लेकिन, तत्कालीन शिवराज सरकार ने बंगला नहीं दिया था। कांग्रेस सरकार बनते ही सिंधिया ने चार इमली स्थिति बी-17 बंगला तत्कालीन कमलनाथ सरकार से मांगा, लेकिन बंगला नहीं दिया गया। राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद अब सिंधिया को भोपाल में बंगला मिलने की उम्मीद है।
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ये सब सरकार उस समय कर रही है जब देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। केंद्र सरकार का कहना है कि इस समय किसी से मकान खाली न करवाया जाए, लेकिन ऐसे समय में पूर्व मंत्रियों को बेदखली का नोटिस थमाना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।
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