पूर्व सीएम रमन सिंह ने विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर दी बधाई, कहा- यह हम सबके लिए गौरवशाली क्षण | Former CM Raman Singh Wishesh to Vishnudeo Sai for elected Chhattisgarh BJP President

पूर्व सीएम रमन सिंह ने विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर दी बधाई, कहा- यह हम सबके लिए गौरवशाली क्षण

पूर्व सीएम रमन सिंह ने विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर दी बधाई, कहा- यह हम सबके लिए गौरवशाली क्षण

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 PM IST
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Published Date: June 2, 2020 11:25 am IST

रायपुर: पूर्व सीएम रमन सिंह ने विष्णुदेव साय को तीसरी बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर बधाई दी है। रमन सिंह ने बधाई देते हुए कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के नाते यह उनका तीसरा टर्म है। विष्णुदेव साय सरल और मिलनसार व्यक्तीत्व के इंसान हैं। इससे पहले भी उन्होंने केंद्रीय मंत्री के दायित्व का निर्वहन किया है। यह हम सबके लिए गौरवशाली क्षण है, साय को संगठन और सरकार में रहने का अनुभव है और वे अब प्रदेश में भाजपा की विचारधार का संचार करेंगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में समस्त कार्यकर्तागण भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने में सफल होंगे।

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बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय तीसरी बार छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए हैं। पार्टी नेताओं से चर्चा के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर उनके नाम को लेकर सहमति बनी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने आज उनके नाम की घोषणा की। पूर्व सांसद साय को केंद्रीय संगठन और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का करीबी माना जाता है। उनकी पसंद के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगी है।

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यह तीसरा कार्याकाल
ऐसी चर्चा है कि उनकी नियुक्ति अगले विधानसभा चुनावों तक के लिए है। हम आपको बता दें कि विष्णुदेव साय पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं। यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा। इससे पहले 2006 से 2009 और फिर 2013 तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रही। 1999 से 2014 तक रायगढ़ से सांसद रहे। मोदी-1.0 में केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने संगठन पद से इस्तीफा दे दिया था।

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साय को माना जाता है आरएसएस का करीबी
साय को संगठन के साथ ही आरएसएस का भी करीबी माना जाता है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी आदिवासी नेता को भी सौंपे जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी । इसके पीछे तर्क यह है कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी ओबीसी वर्ग को दी गई है। वहीं, कांग्रेस ने प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी एसटी को सौंपी है।

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