मनरेगा में मजदूरी करने के लिए मजबूर इस क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान धामी, खेलों में भी पड़ी कोरोना की मार | Former captain of this cricket team forced to work in MNREGA, corona killed in sports too

मनरेगा में मजदूरी करने के लिए मजबूर इस क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान धामी, खेलों में भी पड़ी कोरोना की मार

मनरेगा में मजदूरी करने के लिए मजबूर इस क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान धामी, खेलों में भी पड़ी कोरोना की मार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : July 28, 2020/1:22 pm IST

नईदिल्ली। कोरोना महामारी ने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया, इस महामारी का असर खेल जगत पर भी देखा गया, कोरोना की वजह से कई टूर्नामेंट रद्द हो गए जिसकी वजह से कई नेशनल और स्टेट लेवल के खिलाड़ियों को मजबूरी में मजदूरी और सब्जी बेचनी पड़ रही है। ऐसे ही एक मामले में उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राजेंद्र सिंह धामी आजीविका के लिए मनरेगा में मजदूरी का काम करने के लिए मजबूर हैं।

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विशेष रूप से विकलांग भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राजेंद्र सिंह धामी बल्लेबाजी, गेंदबाजी सहित क्रिकेट के विभिन्न पहलुओं में विशेष रूप से दिव्यांग किशोरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, उनका कहना है कि मैंने अपने जीवन में कई ‘दिव्यांग’ लोगों को तनाव में आशा खोते हुए देखा है, मैं भी कभी इसी अंधेरे में रहा हूं लेकिन मैंने हार नहीं मानी।

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धामी का कहना है कि मैं अपने प्रयासों से दिव्यांग लोगों के जीवन को एक उद्देश्य देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, जिस पर वह सभी पकड़ बना सकें और हमेशा के लिए एक तारे की तरह चमकते रहे। इन दिनों धामी मनरेगा के तहत सड़क के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों को तोड़ने का काम कर रहे हैं। राजेंद्र सिंह धामी ने इतिहास में मास्टर डिग्री ली है, साथ ही बीएड की डिग्री भी हासिल की है।

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राजेंद्र भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं जिनकी उम्र 30 साल है, वह इस समय उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान थे। राजेंद्र सिंह धामी 90% दिव्यांग हैं। धामी 3 साल की उम्र में लकवा ग्रस्त हो गए थे। इसके बावजूद हिम्मत न हारते हुए उन्होंने अपने प्रदर्शन से कई पुरस्कार जीते हैं। उनका कहना है कि मैं दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षित करता था और भविष्य के टूर्नामेंट की तैयारी के लिए खुद अभ्यास करता था लेकिन कोरोना महामारी ने सब कुछ रोक दिया।