रायपुर: अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी, लेकिन देश में कुछ ऐसे भी हिस्से हैं जहां के लोग आजादी के मायने तो दूर आजादी क्या है ये भी नहीं जानते। जानते भी कैसे यहां कभी आजादी का जश्न ही नहीं मनाया गया। तो चलिए हम आपकों बताते हैं ऐसे इलाके के बारे में जहां आजादी के 73 साल बाद पहली बार तिरंगा लहराया, यानि पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया।
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जी हां, छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र में एक ऐसी जगह है, जहां आजादी के 73 साल बाद पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया। पहली बार इस गांव में तिरंगा लहराया। ये गांव है कशालपाड़ा, जो सुकमा के बिहड़ इलाके में बसा हुआ है। आजादी के 73वें वर्षगांठ पर सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन की मदद से ग्रामीणों ने झंडा रोहण किया। यहां पर 206 कोबरा और सीआरपीएफ की 150 बटालियन के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने सुकमा के नक्सल प्रभावित कशालपाड़ में राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ फहराया। इस दौरान डीसी शौरभ यादव, डीसी रमेश चौहान, एसी संजय गौर, एसी सत्य नारायण, एसी सजील और एसी खजीप मौजूद रहे।
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बता दें कि बीते दिनों चिंतागुफा में तैनात बीसीओआरए 206 और सीआरपीएफ 150 बटालियन के जवान सर्चिंग के दौरान कशालपाड़ा गांव पहुंचे। इस दौरान यहां जोरदार धमाका हुआ। हालांकि इस धमाके से किसी भी जवान को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन जवानों ने हमले के बाद ठान लिया था कि इस बार स्वतंत्रता दिवस का जश्न कशालपाड़ा गांव में तिरंगा तहराकर ही मनाया जाएगा।
ज्ञात हो कि 14 दिसंबर को नक्सलियों ने सर्चिंग पार्टी पर हमला कर दिया था। इस हमले में 14 जवान शहीद हो गए थे। लेकिन आज यहां के हालात बदल चुके हैं, यहां आजादी की 73वीं वर्षगांठ पर तिरंगा शान से लहराया।