बिलासपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडकिल साइंसेज (सिम्स) में मंगलवार सुबह आग लगने की घटना ने अस्पताल के इंतजामों की पोल खोल दी है। हालत यह हो गई थी कि आग लगने के कारण अस्पताल के एनआईसीयू में धुआं भर गया था, जबकि उस वक्त अस्पताल में 22 मासूम बच्चे दाखिल थे। समाचार लिखे जाने तक अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ था, कई प्रसूताओं को उनके बच्चों के बारे में कोई जानकरी नहीं मिल रही थी।
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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित सिम्स में मंगलवार सुबह करीब 11 बजे अचानक शार्ट सर्किट के चलते इलेक्ट्रिक पैनल में आग लग गई। आग लगने से निकला धुआं पिडियाट्रिक वार्ड और एनआईसीयू में भर गया। उस दौरान वार्ड में 40 और एनआईसीयू में 22 बच्चे भर्ती थे। धुआं भरता देख वहां मौजूद बच्चों के परिजनों में चीख-पुकार मच गई। घटना के बाद तत्काल वार्ड में भर्ती बच्चों को शिफ्ट किया गया। एनआईसीयू में भर्ती कुछ बच्चों को निजी अस्पताल और बाकी बच्चों को जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया। बताया जा रहा है कि करीब 6 बच्चे अभी भी सिम्स में है। इस शिफ्टिंग के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई।
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अस्पताल प्रबंधन की ओर से बच्चों को शिफ्ट कराने में बड़ी लापरवाही बरती गई। भर्ती मरीजों के परिजनों के मुताबिक, बिना आक्सीजन मास्क के ही बच्चों को अस्तपताल से शिफ्ट किया जा रहा था। एनआईसीयू में भर्ती बच्चों को गंभीरता से नहीं लिया गया। घटना के दौरान अव्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भर्ती गर्भवती और प्रसूताओं को वार्ड से निकालकर कैंपस में ही जमीन पर लिटा दिया गया। जिन महिलाओं के बच्चे अस्पताल में भर्ती थे, उनको अपने बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।सिम्स में आग बुझाने के लिए कोई सिस्टम नहीं है।
मैंन्यूल सिलेंडर से आग बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन आग काबू में नहीं आ रही थी। फिर फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। कुछ देर में फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।जानकारों का कहना है कि पुरानी वायरिंग नई मशीनों का लोड नहीं ले पा रहा है। जिसके कारण स्थिति बिगड़ रही है। अस्पताल प्रशासन ने आग बुझाने का प्रयास किया। धुआं भरने के कारण दो कर्मचारी बेहोश हो गए।