भोपालः कहते हैं कोयले के कारोबार में हाथ काले होते ही है। ऐसा ही हाल अधिकारियों के तबादलों को लेकर भी है। प्रशासनिक व्यवस्था हो या फिर मानवीय दृष्टिकोण ट्रांसफर हमेशा विवादों में रहते हैं। शिवराज सरकार के 300 दिन की सरकार में करीब 3 हजार तबादलों ने अब सियासी रंग ले लिया है। कांग्रेस ने जहां इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है, वहीं बीजेपी ने भी इसका जोरदार तरीके से जवाब दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ट्रांसफर को लेकर एक पारदर्शी व्यवस्था नहीं बनाई जा सकती?
ये आंकड़े हैं मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के जहां पूरे घर के बदल डालूंगा की तर्ज पर हर दिन दस ट्रांसफर हुए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस की सरकार को तबादले की सरकार से नवाजने वाली बीजेपी की सरकार में बदला कुछ नहीं है। अनुमानित तौर पर बीते 10 महीने में किस विभाग में कितने ट्रांसफर हुए हैं वो भी देखिए। नगरीय विकास विभाग 400, पंचायत एव ग्रामीण विकास 500, पुलिस विभाग 400, स्कूल शिक्षा विभाग 400, वन विभाग 300 ट्रांसफर। इन आंकड़ों के बाद कांग्रेस हमलावर है पार्टी ने ट्वीट करके सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
शिवराज का तबादला उद्योग, आपदा में कमाई का नया अवसर महामारी में विधायक ख़रीदकर मुख्यमंत्री बने शिवराज ने 303 दिन में 3000 से अधिक तबादले किये और अब 1 से 30 अप्रैल तक तबादलों से प्रतिबंध हटाकर फिर 50000 तबादले करेंगे। शिवराज जी,विधायक ख़रीदी का पूरा खर्च यहीं से वसूलोगे? ये हाल तब है जब प्रदेश में तबादलों पर से प्रतिबंध 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक हटाया जाएगा।
मंत्रियों के साथ कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री साफ कर चुके हैं कि 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रदेश में ट्रांसफर पर से बैन हटाया जाएगा, तो आप खुद सोचिए उस दौरान किस स्तर पर अधिकारियों-कर्मचारियों का तबादला होगा। मौजूदा हालात में ही शिक्षा विभाग में ट्रांसफर के लिए 3 हजार तो स्वास्थ्य विभाग में 4 हजार आवेदन आ चुके हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस के हमले का जवाब भी बीजेपी आक्रमक तरीके से दे रही है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस ट्रांसफर को लेकर 15 साल तक सवाल नहीं पूछ सकती। तबादले में प्रभारी मंत्री की भूमिका काफी अहम होती है, लेकिन अभी तक मंत्रियों को जिले के प्रभार नहीं बांटे गए हैं लिहाजा ट्रांसफर में एक तरह से अधिकारियों की भूमिका काफी अहम है।