रायपुर: क्या छत्तीसगढ़ में अधिकारी और कर्मचारी अपने ही सीनियर अफसर और विभाग के कार्यप्रणाली से परेशान हैं? ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि बीते महीने भर में चंद ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जो बताते हैं कि पुलिसकर्मी हों या कर्मचारी। ये अपने अफसरान से इस कदर परेशान हुए कि या तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया या फिर वो अपने ही विभाग के खिलाफ विरोध का मोर्चा खोल दिया। आखिर कौन है इसका जिम्मेदार? क्या माना जाए इसके पीछे वर्कप्रेशर, टार्गेट अचीव करने का दबाव? अफसरों के तुगलगी फरमान या अफसरशाही की मनमानी? वजह चाहे जो हो इस पर वक्त रहते अंकुश जरूरी है।
बीते महीने भर में तीन अलग-अलग जिलों की ये घटनाएं बता रही हैं कि राज्य के प्रशासनिक अमले में सबकुछ ठीक नहीं है। कुछ अफसरों की मनमानी से उनके अधिनस्थ काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी प्रताड़ित हैं। इनकी नाराजगी इस कदर बढ़ गई है कि कोई नौकरी छोड़ने इस्तीफा पत्र लिख रहा है, तो कोई अनशन पर बैठने को मजबूर है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इनकी शिकायतों को गंभीरता से सुनना तो दूर बातचीत भी करना गंवारा नहीं करते। नतीजतन परेशान होकर गलत फैसला ले रहे हैं अधिकारी, जिसका खमियाजा उन्हें स्वयं भुगतना पड़ता है, फिर विभाग के जिम्मेदार जांच के नाम पर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते है।
ताजा मामला महासमुंद जिले का है, जहां महिला व बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोंदले ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट खाद्यान्न वितरण में अपने ही विभाग पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। कार्रवाई न होने पर वो अनशन पर बैठ गए। इसके बाद बिना अनुमति के अनशन पर बैठने वाले सुधाकर बोंदले को पुलिस उठाकर ले गई। मामले पर कर्मचारी नेता विजय झा ने कहा कि सरकार को इन मामलों पर ध्यान देने की जरुरत है।
करीब 30 लाख की गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले विभाग के अफसर के अपने ही घर के सामने अनशन पर बैठने से महासमुंद से लेकर रायपुर तक हड़कंप मच गया। अनशन के मुद्दे को लपकते हुए बीजेपी ने राज्य सरकार के साथ-साथ हाईकमान को भी घेरा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राहुल गांधी और पीएल पुनिया से ट्वीट कर पूछा कि क्या अब सरकार के भ्रष्टाचार खिलाफ न्याय दिलाएंगे। रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी चिट्ठी लिखकर मामले की जांच कराने की मांग की।
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बीजेपी के आरोपों पर मंत्री रविंद्र चौबे ने किया पलटवार करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी मुद्दाविहीन हो चुकी हैं। इसलिए 2 विभागीय कर्मचारी के मतभेद को सियासी मुद्दा बना रही है। उन्होंने तंज कसा कि विपक्ष का इतना कमजोर होना भी दुर्भाग्यजनक है। सत्ता पक्ष भले अफसर के अनशन के मुद्दे पर विपक्ष पर सियासत करने का आरोप लगा रहा हो, लेकिन वो भी मुद्दे को बेहद गंभीरता से ले रही है। यही वजह है कि अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए 4 सदस्यीय टीम गठित कर दी है जो 20 मई तक रिपोर्ट सौंपेगी।