नई दिल्ली। दुनिया में एक ऐसा चर्चा भी है जहां हजारों नर कंकालों को सजाया गया है। देखने ये चर्च बेहद ही डरावना है, लेकिन इसका रहस्य ऐसा है कि लोग खुद चाहते ही कि मरने के बाद उनका कंकाल इस चर्च में सजाया जाए।
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ये जानकर आपको भले ही थोड़ा अटपटा जरूर लगे कि इंसानी कंकालों को इस तरह से सजाया गया है जैसा कि आमतौर पर फूलों या फिर अन्य सजावटी चीजों मंदिर मस्जिद या चर्च सजाया जाता है। हम बात कर रहे हैं सेडलेक ऑस्युअरी, जो चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में है। बताया जाता है कि इस अनोखे चर्च को सजाने के लिए 40 हजार से 70 हजार लोगों की हड्डियों का इस्तेमाल किया गया है। यहां छत से लेकर झूमर तक सबकुछ इंसानी हड्डियों से ही बनाए गए हैं। यही वजह है कि इसे ‘चर्च ऑफ बोन्स’ के नाम से भी जाना जाता है।
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बेहद डरावना होने के बाद भी इस चर्च को देखने लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं। यही वजह है कि यह पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। वहीं इसके रहस्य कहानी भी रोचक है। यह चर्च आज से करीब 150 साल पहले यानी 1870 में बना है। कहा जाता है कि सन् 1278 में बोहेमिया के राजा ओट्टोकर द्वितीय ने हेनरी नाम के एक संत को ईसाईयों की पवित्र भूमि यरुशलम भेजा था।
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यरुशलम गए संत जब वापस लौटे तो वो अपने साथ वहां की पवित्र मिट्टी से भरा एक जार भी लेकर आए और उस मिट्टी को एक कब्रिस्तान के ऊपर डाल दिया। बस उसके बाद से यह लोगों के दफनाने की पसंदीदा जगह बन गई। कब्रिस्तान में पवित्र मिट्टी होने की वजह से लोग चाहते कि मरने के बाद उन्हें वहीं पर दफनाया जाए और ऐसा होने भी लगा।
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कहा जाता है कि 14वीं सदी में ‘ब्लैक डेथ’ महामारी फैली थी। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी। सभी को प्राग के उसी कब्रिस्तान में दफनाया गया, जहां पवित्र मिट्टी को डाला गया था। इसके अलावा 15वीं सदी की शुरुआत में बोहेमिया युद्ध में भी हजारों की संख्या में लोग मारे गए और उन्हें भी वहीं पर दफनाया गया। एक अनुमान के मुताबिक, सालाना इस अनोखे चर्च को देखने के लिए दो लाख से भी ज्यादा लोग आते हैं।
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