कांकेर, छत्तीसगढ़। कांकेर के दुधावा टापू में फंसे बन्दरों को रेस्क्यू करने बनाया गया बांस का सेतू भी कारगार साबित नहीं हो रहा। सेतु बनाने के 16 घंटे बाद भी बन्दर के झुंड में कोई हलचल नहीं है। बंदर अब भी वहां मौजूद हैं। लेकिन जंगली बन्दरों को फल सब्जी देने से ग्रामीणों में भय बन गया है कि बाहर निकलने के बाद बंदर ग्रामीणों पर हमला ना करें।
पढ़ें- आचार संहिता लगने से पहले पंचायत पदाधिकारियों को करना होगा बकाया राशि का भुगतान, वरना नहीं लड़ सके.
ग्रमीणों की माने तो ढोंढारा डोंगरी टापू में बन्दर हमेशा आते हैं और इनकी साइज अन्य बन्दरों की अपेक्षा बड़ी है और ये पानी से डरते हैं तो ये बांस के सहारे नहीं आ पाएंगे। बन्दरों की संख्या अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष ज्यादा है।ॉ
पढ़ें- बालोद-बेमेतरा प्रवास पर सीएम भूपेश बघेल, इन कार्यक्रमों में होंगे श…
ग्रमीणों को ये भी डर सता रहा है कि ये बन्दर जंगली पेड़ पत्ती खाने के आदि हैं और जिस प्रकार से इनको फल और सब्जी दी जा रही है ये बाहर निकलने के बाद ग्रमीणों महिलाओं और बच्चों पर भी सब्जी की लालच में हमला कर सकते हैं। बहरहाल बन्दरों के रेस्क्यू में अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है। सेतु निर्माण के एक दिन बाद भी बन्दर अभी तक सेतु तक नहीं आए हैं ऐसे मैं वन विभाग की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।
पढ़ें- पिस्टल-चाकू के बल पर ट्रेन में क्रिकेट टीम से लूट, कई खिलाड़ी घायल, …
देखिए वीडियो