कोरबा। रविवार को सभी जगह होलिका दहन को लेकर उत्साह रहा। गांव-गांव, शहरी के मोहल्लों, गलियों में बच्चों ने होलिका की डांग सजाई थी। इससे अलग कोरबा में मारवाड़ी समाज की होलिका दहन की पुरानी परंपरा आज भी लोगों के लिए पर्यावरण संरक्षण देने वाली रही। यह समाज दशकों से चली आ रही कंडा से होली जलाने की रस्म पूरी की।
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यह समाज होलिका दहन में लकड़ी का उपयोग नहीं करता है। पुराना बस स्टैंड में मारवाड़ी समाज की सुबह से गोबर के कंडों की होलिका की महिलाओं ने परिक्रमा और पूजा की। कच्चे धागे से होलिका को बांधकर पूजा विधान पूरा किया। शहरी क्षेत्र में रहने वाले मारवाड़ी समाज के लोगाें ने एकत्र होकर पूजा-अर्चना की।
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खास बात यह रही कि हर परिवार के लोग सामूहिक रूप से होलिकोत्सव स्थल पहुंचते रहे और परिक्रमा के साथ पूजा विधि करते रहे। महिलाएं गोबर से बने कंडे, माला, रोली, कुमकुम, फूल व चावल से होलिका पूजन कीं। वहीं देर शाम मुहूर्त के अनुसार दहन किया जाएगा।
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