वाशिंगटन। अमेरिका में कोरोना वायरस संकट के बीच प्रेसीडेंट इलेक्शन के लिए हलचल तेज़ हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन फाइनल मुकाबले के लिए तैयार हैं। दोनों ही उम्मीदवार वोटर्स को लुभाने में लगे हुए हैं। अमेरिकी में इस साल के अंत में होने वाले इलेक्शन में भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर्स को लुभाने के लिए दोनों ही उम्मीदवार खास रणनीति बना सकते हैं।
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अमेरीका में वर्ष 2018 में मिड टर्म के इलेक्शन हुए थे, तब जो आंकड़े आए थे, उसके मुताबिक, यूएसए में करीब 41 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी रहते हैं। इनमें से तकरीबन 44 फीसदी को वोट डालने की पात्रता है। अमेरिका में आयोजित होने वाले चुनाव में तकरीबन15 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर अपना मतदान का प्रयोग करेंगे। किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के लिए ये सपोर्ट काफी बड़ा हो सकता है। अमेरिका के कई ऐसे राज्य हैं जहां पर भारतीय मूल के वोटरों की संख्या 5 फीसदी से अधिक है। इनमें एरिजोना, फ्लोरिडा, पेनसेल्वेनिया, मिचिगन, टेक्सास जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं। इनमें से अधिक राज्यों में डेमोक्रेट्स पार्टी की नींव मजबूत मानी जाती रही है।
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भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर्स के नजरिए से देखें तो स्थानीय स्तर पर कई ऐसे मुद्दे हैं जो चुनावों को प्रभावित करेंगे। सबसे पहले तो H1B वीज़ा का मसला जिसपर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाई गई है। अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो हजारों भारतीयों की नौकरी संकट में आ सकती है। वहीं जो बिडेन का रुख अलग है और वो प्रवासियों की नौकरी की चिंता की बात करते हैं।
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अमेरिका में अश्वेत लोगों के साथ हो रहे अत्याचार, प्रवासियों के खिलाफ बढ़ते आक्रमण, अमेरिका में लगातार गन कल्चर को मिलते बढ़ावे जैसे मसलों पर कई बार भारतीय मूल के लोगों ने अपनी चिंताएं जताई हैं। इस स्थिति में भारतीय मूल लोगों से जुड़े ये मुद्दे, तय करेंगे कि भारतीय वोटर इस बार रिपब्लिकन पार्टी को वोट करेंगे या फिर डेमोक्रेट्स पार्टी के साथ जाते हैं।
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भारतीय वोटरों को लुभाने के लिए जो बिडेन की टीम ने अलग-अलग भाषाओं में मैसेज पहुंचाने की कोशिश की है। इसमें एक नारा दिया गया है ‘अमेरिका का नेता कैसा हो, जो बिडेन जैसा हो’। इस संदेश को अमेरिका में गुजराती, मराठी, तमिल, पंजाबी जैसी भाषाओं में पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, कई बार मोदी सरकार की आलोचना, भारत की विदेश नीति पर तल्ख टिप्पणी को लेकर जो बिडेन भी लोगों के निशाने पर आ चुके हैं। ऐसे में देखना होगा कि भारतीय वोटर किसकी ओर अपना पलड़ा झुकाते हैं.
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