रायपुर। धनतेरस से दीपावली की शुरूआत होती है। धनतेरस के दिन काल के देवता यमराज की पूजा होती है। इसदिन 13 दीयें जलाए जाते हैं। इसलिए दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दयादृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो।
पढ़ें- युवाओं के लिए भूपेश कैबिनेट का बड़ा फैसला, नौकरियों में स्थानीय लागों को मिलेगी प्राथमिकता
धनतेरस पर घर की दक्षिण दिशा में यमराज और पितरों के लिए दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद नरक चतुर्दशी पर भी यमराज के लिए पूजा-पाठ करना चाहिए। दीपावली यानी कार्तिक अमावस्या तिथि के स्वामी भी पितर देवता और यमराज होते हैं। इस दिन चंद्र के दर्शन नहीं होते। चंद्र लोक ही पितरों का निवास स्थान माना गया है। आश्विन माह के श्राद्ध पक्ष में आए हुए समस्त पितर कार्तिक अमावस्या पर ही धरती से विदा लेते हैं और अपने चंद्र लोक जाते हैं। इस दिन अंधकार होता है, पितरों को मार्ग में रोशनी मिले, इसी भाव से दिवाली की रात पितरों के लिए दीपक जलाने की परंपरा है।
पढ़ें-भूपेश कैबिनेट बैठक में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला, पार्षद…
धनतेरस की शाम एक बर्तन में अन्न भरें और उस पर दीपक रखकर जलाएं। ये दीपक घर की दक्षिण दिशा में रखें। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं और ये दिशा पितरों की मानी गई है। दीपक लगाते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
मान्यता है कि रूप चौदस यानी नरक चतुर्दशी पर यमराज की पूजा करने से अनजाना भय दूर होता है। दीपावली पर पितरों का और यमराज का पूजन करके पितरों के लिए शांति एवं प्रसन्नता की कामना की जाती है। अमावस्या के बाद अगले दिन गोवर्धन पर्वत का पूजन होता है।
दीपोत्सव के अंतिम दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। इसी वजह से यह दिन भाई दूज के रूम में मनाया जाता है। इस दिन भी यमराज और यमुना का पूजन करना चाहिए।
पढ़ें- यातायात कैसे सुधरे जब पुलिस बल ही स्वीकृत नहीं, आईजी ने प्रेस कांफ्रेस कर बयां की मजबूरी
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्यद्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। धनतेरस के दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए यमुना स्नान भी किया जाता है या यदि यमुना स्नान संभव न हो तो स्नान करते समय यमुना जी का स्मरण कर लेने से भी यमराज प्रसन्न होते हैं, क्योंकि मान्यता है कि यमराज और देवी यमुना दोनों ही सूर्य की संतानें होने से आपस में भाई-बहन हैं और दोनों में बड़ा प्रेम है। इसलिए यमराज यमुना का स्नान करके दीपदान करने वालों से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते और उन्हें अकाल मृत्यु के दोष से मुक्त कर देते हैं।
पढ़ें- चित्रकोट और झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों का दबदबा कायम, …
यमराज पूजा विधि
धनतेरस को मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने के लिए संध्याकाल में एक वेदी (पट्टा) पर रोली से स्वास्तिक बनाइए। उस स्वास्तिक पर एक दीपक रखकर उसे प्रज्ज्वलित करें और उसमें एक छिद्रयुक्त कौड़ी डाल दें। अब इस दीपक के चारों ओर तीन बार गंगाजल छिड़कें। दीपक को रोली से तिलक लगाकर अक्षत और मिष्ठान आदि चढ़ाएं। इसके बाद इसमें कुछ दक्षिणा आदि रख दीजिए, जिसे बाद में किसी ब्राह्मण को दे दीजिए। अब दीपक पर पुष्पादि अर्पण करें। इसके बाद हाथ जोड़कर दीपक को प्रणाम करें और परिवार के प्रत्येक सदस्य को तिलक लगाएं। दीपक को मुख्यद्वार के दाहिनी ओर रख दीजिए। यम पूजन करने के बाद अंत में धनवंतरि की पूजा करें।
पढ़ें- तेंदुए ने गांव में मचाया आतंक, दो दिन में दो बछड़ों को बनाया शिकार…
उपचुनाव की जंग
Rule Change From 1st January 2025 : नए साल में…
21 hours ago