धमतरी। आमतौर पर किसी गांव का वजूद उसके दर्जनों आशियाने और सैकडों वाशिंदों की वजह से होता है। लेकिन धमतरी जिले में एक गांव ऐसा भी है जिसे महज एक शख्स की वजह से जाना जाता है और वो गांव है तुमाखर्दू। जिसकी आबादी में सिर्फ एक शख्स यानी सियाराम ही शामिल है। जो आमलोगों से दूर बीते 50 सालों से बियाबान जंगलों के बीच इस गांव में अकेला रह रहा है। बिना किसी खौफ और फिक्र के। दिगर गांव के लोगों के मुताबिक मौला किस्म का यह इंसान अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी रहा है।
Read More News: 18 दिसंबर से खुलेंगे प्रदेश के सभी स्कूल, पहले की तरह ही लगेंगी 10वीं और 12वीं की
न तो गांव का पता बताने वाला कोई सूचना बोर्ड और न ही रास्ता। बाईक या साइकिल से चलकर गांव तक जाना भी मुमिकन नहीं। चारों तरफ बियाबान जंगल और दूर-दूर तक फैली पहाड़ों की वादियां। जगंली जानवरों के अक्सर आमदरफत होने वाले इस इलाके में किसी गांव बसे होने की बात तो सोची जा सकती है पर महज एक इंसान के रहने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
Read More News: स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया मेडिकल बुलेटिन, छत्तीसगढ़ में आज 19 कोरोना मरीजों की मौत, 1615 नए संक्रमितों की पुष्टि
जानें ये वजह
लेकिन धमतरी जिले के तुमाबहार पंचायत का आश्रित गांव तुमाखूर्द एक ऐसा गांव है, जहां बीते 50 सालों से सिर्फ एक शख्स रहता है। दरअसल गगंरेल बांध के वजूद में आने के बाद डूबान में आए इस गांव को सभी ने छोड़ दिया। लेकिन सियाराम कोर्राम नामक शख्स को अपनी सरजमीं से इतना लगाव रहा कि उसने अपने घर की ढेहरी को अलविदा कहना मंजूर नहीं किया। मौजूदा वक्त में ये इंसान बिना किसी परिवार और सहारे के अकेला इस बियाबान में अपनी जिन्दगी मौज के साथ जी रहा है बिना किसी गिले शिकवे के।
Read More News: ‘बघेल राज’ बदलाव के 2 साल: विकास की नई इबारत लिख रहा धमतरी, सच हो रहा मुख्यमंत्री का सपना
जानवरों का कोई खौफ नहीं..
अब तो इस गांव कि वो पहचान बन चुका है और लोग अकेले आबादी वाले इस गांव को सियाराम का गांव कहते है। हैेरत की बात तो ये कि इंसानी आबादी से दूर तन्हाई में रहने वाले सियाराम को जंगली जानवरों का कोई खौफ नहीं है वो अपने दिन की शुरुवात मछली मारने से करता है और रात मे मजे से नींद लेता है। बिना ये सोचे कि उसके बुढापे के दिन कैसे कटेंगे और मौत के बाद क्या होगा।
Read More News: घमासान! क्या राजनैतिक दलों मे किसानों का हमदर्द बनने की होड़ लगी है?
कहते है कि जिनका कोई नहीं उनका उपर वाला ही सब कुछ होता है। ऐसे ही कुदरत की गोद में पलने वाले सियाराम का बिमारी से कोई नाता नहीं और मस्त होकर। स्वस्थ रहकर अपनी उम्र के कैलैन्डर को बदल रहा है। लोगों की माने तो सियाराम को इतने दिनों में जगंली जड़ी बूटियों की समझ हो गई और एक तरह मानो वैध बन गया है जो गाहेबगाहे उसके पास आने वालों के मर्ज को दूर भगाता है। तो वहीं कुछ लोग उसे तांत्रिक भी मानते हैं।
Read More News: #IBC24AgainstDrugs: ‘उड़ता रायपुर’…ड्रग्स का ‘होलसेल’ बाजार…! किसके संरक्षण में चल रहा है ड्रग्स का कारोबार?
बहरहाल अकेलेपन में भी सबकुछ पाकर खूश रहने वाला सियाराम नामका यह शख्स उन लोगों के लिए एक मिसाल है तो शहर और गांव की भीड़ भाड़ वाली आबादी के बीच भी अपने को तन्हा महसूस करते है और खुशी की तलाश मे भटकते रहते हैं।
<iframe width=”560″ height=”315″ src=”https://www.youtube.com/embed/EgYzyVbT5s0″ frameborder=”0″ allow=”accelerometer; autoplay; clipboard-write; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture” allowfullscreen></iframe>