नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर केजरीवाल का जादू चल गया है। केजरीवाल के नेतृत्व में तीसरी बार आम आदमी पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है। पिछली बार की तरह इस बार भी पार्टी ने 70 में से 62 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल की। केजरीवाल का गर्वनेंस मॉडल की राजनीति मोदी-शाह की राष्ट्रवाद पर भारी पड़ी। वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। जीत के बाद केजरीवाल ने आई लव यू बोलकर दिल्लीवालों का शुक्रिया अदा किया। वहीं विपक्ष ने भी हार मानते हुए जनादेश को स्वीकार किया।
Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal celebrates with wife Sunita as AAP takes big lead #DelhiElectionResults pic.twitter.com/Ie2lKRVoyJ
— ANI (@ANI) February 11, 2020
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दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बनने जा रही है। प्रचंड बहुमत के साथ केजरीवाल ने दिल्ली में हैट्रिक लगाई. दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने ऐसा झाड़ू चलाया कि बीजेपी-कांग्रेस कभी मुकाबले में दिखे ही नहीं। 70 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 60 से अधिक सीट मिलना इसलिए भी अहम है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में आप को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था। ऐसे में राजनीतिक दलों से लेकर विश्लेषकों के मन में यही सवाल था, कि क्या मोदी-शाह की जोड़ी लोकसभा जैसी कमाल दिखा पाएगी। लेकिन अपने गवर्नेंस मॉडल के दम पर केजरीवाल ने सबको चारों खाने चित्त कर दिया। प्रचंड जीत के बाद केजरीवाल दिल्लीवालों को आई लव यू कहा..साथ ही हनुमान जी का शुक्रिया अदा किया।
#WATCH AAP chief Arvind Kejriwal after offering prayers at Hanuman Temple in Connaught Place: Hanuman ji sabka bhala karenge. #DelhiElectionResults pic.twitter.com/1pKj03wgL2
— ANI (@ANI) February 11, 2020
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मंगलवार सुबह 8 बजे वोटों की गिनती के साथ ही आम आदमी पार्टी अपने विरोधी दलों से काफी आगे रही। जैसे-जैसे वक्त गुजरता रहा, रूझान आए आम आदमी पार्टी के दफ्तर में जश्न का माहौल जबकि बीजेपी-कांग्रेस के कार्यालयों में सन्नाटा पसरता गया।
नतीजे भी बताते हैं कि दिल्ली की जनता ने बीजेपी की शाहीन बाग के नाम पर हिंदू-मुस्लिम राजनीति को भी सिरे से खारिज कर दिया। चुनाव से एक बात और साफ हो गई है कि गरीब तबका, पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के साथ रहा। केजरीवाल का फ्री ‘बिजली-पानी-बस यात्रा’ का दांव भी खूब चला। दूसरी ओर बीजेपी की हर चाल पूरी तरह से फेल रही। उम्मीदों के मुताबिक नतीजे नहीं आने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी सामने आए और हार की जिम्मेदारी ली।
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कांग्रेस के लिए इस चुनाव में कुछ भी पॉजिटिव नहीं रहा। हालांकि जिस तरह से पार्टी नेताओं ने चुनावों से दूरी बना ली थी, उसी से ये अंदाजा लग गया था कि उन्हें इन परिणामों का पहले से ही आभास था। लेकिन करारी हार के बाद पार्टी में बयानबाजी का दौर जरूर शुरू हो गया।
आम आदमी पार्टी की लगातार सफलता राजनीति में उसकी परिपक्वता को भी दर्शाता है। बात-बात पर केंद्र सरकार से भिड़ने की छवि को भी केजरीवाल दूर करने में सफल रहे। ऐसे में सवाल यही है कि क्या केजरीवाल सरकार की हैट्रिक देश की राजनीति को नई दिशा देगी। अरविंद केजरीवाल अब एंटी बीजेपी धड़े के लोगों के साथ खड़े होंगे या फिर एकला चलो की रणनीति पर काम करेंगे। दिल्ली चुनाव का असर बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में दिखेगा, क्या बीजेपी अब राष्ट्रवाद का मुद्दा छोड़कर विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ेगी।
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