अयोध्या में 'राम राज', 100 साल वनवास के बाद लौटे राम लला, दीयों से रोशन होगा देश | Decision of Supreme Court on Ram temple ayodhya

अयोध्या में ‘राम राज’, 100 साल वनवास के बाद लौटे राम लला, दीयों से रोशन होगा देश

अयोध्या में 'राम राज', 100 साल वनवास के बाद लौटे राम लला, दीयों से रोशन होगा देश

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : November 9, 2019/5:11 am IST

नई दिल्ली। आखिर सैकड़ों सालों के इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर निर्णायक फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने लंबी सुनवाई और पक्ष-विपक्ष को सुनकर माना है कि अयोध्या का अस्तित्व राम से जुड़ा है।

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राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया था। फैसले के बाद अयोध्या में फिर से राम राज होगा। राम लला की मंदिर ठीक उसी जाएगी बनाई जाएगी जहां राम लला पहले विराजमान थे।

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अयोध्या के लिए सैकड़ों सालों से लंबी सुनवाई चलती रही। सिर्फ तारीखें आगे बढ़ती रही लेकिन हल नहीं निकल रहा था। इस मसले पर आखिरी फैसला करने दोनों पक्ष राजी हुए। फैसला जिस पक्ष पर आए उसे स्वीकार करने के लिए दोनों पक्षकारों की सहमति बनी।

जानिए फैसले की बड़ी बातें-

राम लला को कोर्ट ने मुख्य पक्षकार माना है
निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज

निर्मोही अखाड़ा सेवादार भी नहीं

रामलला को कानूनी मान्यता

पुरातात्विक सबूतों को दरकिनार नहीं की जा सकती

मस्जिद के नीचे विशालकाय सरंचना थी

बाबरी मस्जिट खाली जगह पर नहीं बनी थी

‘वो इस्लामिक संरचना नहीं थी’

विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीजों का इस्तेमाल 

हिंदू अयोध्या को राम का जन्म स्थान मानते हैं

खुदाई में कलाकृतियां मिली हैं वो इस्लामिक नहीं है

हिंदू मुख्य गुंबद को ही जन्म स्थान मानते हैं

हिंदू आस्था को गलत बताने का कोई प्रमाण नहीं मिलता

क्रॉस एग्जामिनेशन से हिंदुओं का दावा गलत साबित नहीं

रामलला ने ऐतिहासिक ग्रंथों के विवरण भी रखे

चबूतरा, भंडारा, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि

सुन्नी ने जगह को मस्जिद घोषित करने की मांग की

टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता

हिंदू परिक्रमा भी किया करते थे

अयोध्या में राम के जन्म के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया

बाबरी मस्जिद खाली जगह पर नहीं बनी

मुस्लिम पक्ष हक का दावा साबित नहीं कर पाया

1934 के बाद मुस्लिमों का कभी कब्जा नहीं रहा

भीतरी हिस्से में मस्जिद होने के सबूत नहीं

विवादित हिस्से का बंटवारा नहीं होगा

सुन्नी बोर्ड को वैकल्पिक जमीन देना जरूरी