रायपुर: पांच दिन से नक्सलियों के कब्जे में रहा सीआरपीएफ का जवान रिहा हो गया। सामाजिक संगठन के लोगों ने मध्यस्थता कर जवान की रिहाई कराई। नक्सलियों ने इसके लिए कोई मांग नहीं रखी। 3 अप्रैल को हुए मुठभेड़ के दौरान जवान राकेश्वर मिन्हास को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था।
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सीआरपीएफ के कोरबा बटालियन के जवान राकेश्वर मन्हास को नक्सलियों रस्सी से बांधकर रखा था और जन अदालत की है। यहां सैकड़ों आदिवासियों के बीच नक्सली जवान को लेकर आए हैं। जवान को जन अदालत में लाने के बाद उसकी रस्सी खोली जाती है। उसके बाद जवान को मध्यस्थता करने गए सामाजिक लोगों और पत्रकारों के हाथ सौंप दिया गया। सबसे बड़ी बात ये रही कि नक्सलियों ने किसी तरह की शर्त नहीं रखी। बिना शर्त उसे रिहा किया गया। रिहाई की खबर मिलते ही जवान के घर जम्मू में जश्न शुरू हो गया।
3 अप्रैल को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे। जबकि 31 जवान घायल हुए। इसी दौरान राकेश्वर मन्हास को नक्सलियों ने अगवा कर लिया। जिसके बाद से लगातार जवान के रिहाई को लेकर बात चल रही थी। नक्सलियों ने रिहाई के लिए मध्यस्थ बनाने का संदेश भिजवाया। उसके बाद मध्यस्थों ने कोशिश शुरू की।
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रिहाई के बाद जवान को लेकर मध्यस्थ तर्रेम थाना पहुंचे। जहां पर सीआरपीएफ के अधिकारी और जिला पुलिस के अधिकारी मौजूद थे। वहां राकेश्वर मन्हास का मेडिकल परीक्षण किया गया। अगवा जवान के सकुशल वापस आने के साथ ही ये संकट तो खत्म हो गया। लेकिन नक्सलवाद का संकट बरकरार है। जब तक कड़ाई से इसका मुकाबला नहीं किया जाता तब तक स्थाई समाधान नहीं निकलेगा।
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