कोरोना के 'ट्रिपल म्यूटेंट' की एंट्री ने बढ़ाई टेंशन, इन राज्यों में मिले केस | Corona's entry of 'triple mutants' increased tension, cases found in these states

कोरोना के ‘ट्रिपल म्यूटेंट’ की एंट्री ने बढ़ाई टेंशन, इन राज्यों में मिले केस

कोरोना के 'ट्रिपल म्यूटेंट' की एंट्री ने बढ़ाई टेंशन, इन राज्यों में मिले केस

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : April 22, 2021/6:37 am IST

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के डबल म्यूटेंट के बाद ट्रिपल म्यूटेंट की एंट्री ने वैज्ञानियों को चिंता में डाल दिया है। महाराष्ट्र, दिल्ली और बंगाल में ट्रिपल म्यूटेंट से संक्रमित कुछ मामले सामने आए हैं। ट्रिपल म्यूटेशन का मतलब है कि कोरोना वायरस के तीन अलग-अलग स्ट्रेन यानी स्वरूप मिलकर एक नए वैरिएंट में बदल गए हैं।

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वैज्ञानियों के मुताबिक अभी ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट के बारे में ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ है, इसलिए यह कहना तो बहुत मुश्किल है कि कौन सी वैक्सीन इस पर काम करेगी और कौन नहीं। लेकिन वायरस के जिन तीन वैरिएंट से मिलकर यह ट्रिपल म्यूटेंट बना है, उनमें से दो वैरिएंट एंटीबॉडीज को चकमा देने में सक्षम थे। इसलिए वैज्ञानियों का मानना है कि ट्रिपल म्यूटेंट में भी शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में कुछ न कुछ क्षमता जरूर होगी।

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भारत के लिए नए वैरिएंट से संक्रमित होने वाले मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग वैज्ञानियों के मुताबिक कोरोना वायरस का ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट कितना घातक या संक्रामक है, इसके बारे में अध्ययन से ही जानकारी मिल पाएगी। अध्ययन में पाया गया था कि डबल म्यूटेंट न सिर्फ तेजी से फैल रहा है, बल्कि यह बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। डबल म्यूटेंट को अधिक गंभीर रोगजनक पाया गया था।

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वैज्ञानियों का मानना है कि दुनियाभर में संक्रमण के नए मामलों में बेतहासा वृद्धि वायरस के नए-नए वैरिएंट की वजह से ही हो रही है। मैकगिल यूनिवर्सिटी में महामारी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. मधुकर पई ने कहा, ‘यह एक बहुत अधिक संक्रमणीय वेरिएंट है। यह बहुत सारे लोगों को बहुत जल्दी बीमार बना रहा है। हमें टीके में बदलाव करने की जरूरत है। इसके लिए हमें बीमारी को समझना होगा। हमें युद्ध स्तर पर सिक्वेंसिंग करने की आवश्यकता है।’

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एक बहुत बड़ी चुनौती है। भारत में अभी तक जितने मामले सामने आए हैं, उनमें से एक फीसदी से भी कम की जीनोम सिक्वेंसिंग हो पाई है। भारत में अभी 10 लैब में ही जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही रही है। डॉ. पई के मुताबिक डबल म्यूटेंट का पता लगने में देरी की वजह से ही शायद नए मामलों में इतनी तेज वृद्धि हो रही है। उनके मुताबिक वायरस जितना फैलता है, उतना उसमें म्यूटेशन होता है और वह अपनी प्रतिकृति बनाते जाता है। भारत में कुछ दिन पहले महाराष्ट्र और पंजाब में डबल म्यूटेंट से संक्रमित मामले सामने आए थे। अब इन दो राज्यों के साथ ही बंगाल में ट्रिपल म्यूटेंट से संक्रमित मामले मिले हैं।