नई दिल्ली। कोरोना की दवा तैयार करने में जुटे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि अगले 20 सालों तक के लिए COVID-19 की दवा की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि यह वक्त कड़वी सच्चाई को स्वीकार करने का है। पूनावाला के मुताबिक इतिहास में एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है, जब किसी वैक्सीन को बंद किया गया हो। उन्होंने कहा कि लगातार कई सालों से फ्लू, निमोनिया, खसरा और पोलियो तक दवाएं चली आ रही हैं।
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इनमें से किसी को भी बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही कोरोना वैक्सीन के साथ भी है। पूनावाला ने कहा कि यदि कोरोना वैक्सीन का 100 पर्सेंट लेवल हासिल कर लिया जाता है, तब भी भविष्य में इसकी जरूरत पड़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन असली हल नहीं है। यह आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करती है और आपकी रक्षा करती है। इससे बीमारी का रिस्क कम हो जाता है, लेकिन आप इससे 100 फीसदी नहीं बच सकते।
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अब यदि हम बात करें कि हम जनसंख्या के एक हिस्से तक वैक्सीन देंगे तो यह पर्याप्त नहीं होगा। यहां तक कि 100 फीसदी टीकाकरण के बाद भी भविष्य में इस दवा की जरूरत रहेगी। खसरा के टीके का उदाहरण देते हुए पूनावाला ने कहा कि यह 95 फीसदी कारगर है और सबसे सफल दवाओं में से एक है। लेकिन इसके बाद भी नवजात शिशुओं को यह दवा दी जाती है।
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गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन को तैयार करने के लिए सीरम इंस्टिट्यूट बिल गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर काम कर रहा है। सीरम इंस्टिट्यूट के मुताबिक अगले साल की शुरुआत तक उसकी ओर से कोरोना वैक्सीन बाजार में उतारी जा सकती है। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी समेत तमाम अन्य संस्थाएं भी कोरोना की दवा को तैयार करने में जुटी हैं। रूस ने कोरोना वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत तमाम वैश्विक संस्थानों ने उसे मान्यता नहीं दी है।