रायपुर: राष्ट्रवाद का दावा करने वाले भाजपा और संघ ने शुक्रवार को करारा प्रहार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि आज राष्ट्रवाद का राग अलापने वाली भाजपा और संघ उस वक्त कहां थे जब पूरा देश आजादी के लिए लड़ रहा था। गांधी और कांग्रेस का राष्ट्रवाद सच्चा एवं वास्तविक राष्ट्रवाद है। अंग्रेजों के सामने एक दो नहीं बल्कि 9 बार माफी मांगने वाले राष्ट्रवाद का प्रमाण पत्र जारी करने कौन होते हैं? गांधी के राष्ट्रवाद को समझना और उस पर बात करना भी भाजपा के बस की बात नहीं है। गांधी के राष्ट्रवाद में कमजोर से कमजोर व्यक्ति की भी असहमति का सम्मान है। यही भगवान राम के जीवन से हम सबने सीखा है। यही भारतीय परंपरा है।
प्रवक्ता त्रिवेदी ने आगे कहा है कि मॉब लिचिंग जैसी घटनाएं निश्चित रूप से न तो राष्ट्रवाद है और न ही किसी भी धर्म में उचित और मान्य है। धर्म के राजनीतिकरण को लेकर हर सच्चा राष्ट्रवादी चिंतित और व्यथित है। यह चिंता जायज भी है। गांधी ने जिस गंभीर राष्ट्रवाद की बात कही उस राष्ट्रवाद की एक लंबी पृष्ठभूमि है, जो महावीर, बुद्ध, राजा राममोहन राय, रामकृष्ण, विवेकानंद से लेकर गांधी तक आती है। कबीर और बुल्लेशाह भी इसी राष्ट्रवाद में है जो कहते हैं कि तुम मुक्त हो क्योंकि ईश्वर मुक्त है। जो सत्य स्थापित हमारे महापुरुषों ने किया उसे समझकर अंगीकार करने का काम यदि किसी ने किया तो महात्मा गांधी ने किया। गांधी जी की पूरी विचारधारा एक गंभीर विमर्श को, एक चिंतन को जन्म देती है जिसमें सभी अच्छों को अच्छाईयों के अपनाने की प्रेरणा मिलती है। भारत के राष्ट्रवाद में कबीर है, रसखान है, दादू है, तुलसी है, मीरा है, रैदास है, गुरु घासीदास है।
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भारत के उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक इसी गौरवशाली परंपरा का संगम साहित्य से लेकर भक्ति तक मीरा, वल्लभाचार्य, गौरांग महाप्रभु, रामकृष्ण परमहंस, तिरवल्लरु, वसावराज से लेकर सुब्रमण्यम भारती तक आती है। यही राष्ट्रवाद है जिसके कारण बिहार के और छत्तीसगढ़ के किसानों के संघर्ष में महात्मा गाँधी ने साथ दिया। यही हमारा सच्चा गंभीर राष्ट्रवाद है। यह गंभीर राष्ट्रवाद है जिसने देश को आजादी दिलाई। ये वही राष्ट्रवाद है जिसमें बुनकरों को सम्मान दिलाने का काम स्वयं चरखा चला कर और सबसे चरखा चलवाकर महात्मा गांधी ने किया। ये वही राष्ट्रवाद है जिसमें नारी सहित सबको शिक्षा और समानता का अधिकार मिलता है। ये वही राष्ट्रवाद है जिसमें सर पर मैला ढोने वाले भंगियों को भी सम्मान देने का काम महात्मा गांधी ने किया। ये वही राष्ट्रवाद है जिसमें चप्पल बनाने का काम भी गांधी जी ने खुद अपने हाथ से कर सम्मानित करने का काम किया। महात्मा गांधी ने कहा कि जो हाथ से काम करने वाले लोग है वो घृणा के पात्र नहीं, वो भी सम्मान के पात्र हैं। सबको जोड़ने का काम महात्मा गांधी ने किया। यही गांधी का राष्ट्रवाद है। यही सच्चा और गंभीर राष्ट्रवाद है। यही भारतीयता है।
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