अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू को हटाया गया आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से, मोदी सरकार का बड़ा फैसला | commodities like cereals, pulses, oilseeds, edible oils, onion and potatoes will be removed from the list of essential commodities

अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू को हटाया गया आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू को हटाया गया आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:46 PM IST
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Published Date: June 3, 2020 12:52 pm IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में 3 जून, 2020 को केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक में कई महत्‍वपूर्ण एवं ऐतिहासिक निर्णय लिए गए जो देश के किसानों की मदद करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने में भी काफी मददगार साबित होंगे।

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आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन
केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आज आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन को मंजूरी दी। यह कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। वैसे तो भारत में ज्‍यादातर कृषि जिंसों या वस्‍तुओं के उत्‍पादन में अधिशेष (सरप्‍लस) की स्थिति है, लेकिन इसके बावजूद कोल्‍ड स्‍टोरेज, प्रसंस्‍करण और निर्यात में निवेश के अभाव में किसान अपनी उपज के उचित मूल्‍य पाने में असमर्थ रहे हैं, क्‍योंकि आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम की लटकती तलवार के कारण उनकी उद्यमशीलता हतोत्‍साहित हो जाती है। ऐसे में जब भी शीघ्र नष्‍ट हो जाने वाली कृषि उपज की बंपर पैदावार होती है, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। यदि पर्याप्‍त प्रसंस्‍करण सुविधाएं उपलब्‍ध हों तो बड़े पैमाने पर इस तरह की बर्बादी को रोका जा सकता है।

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आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम में संशोधन के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू जैसी वस्‍तुओं को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटा दिया जाएगा। इस व्‍यवस्‍था से निजी निवेशक अत्‍यधिक नियामकीय हस्‍तक्षेप के भय से मुक्‍त हो जाएंगे। उत्‍पादन, भंडारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की आजादी से व्‍यापक स्‍तर पर उत्‍पादन करना संभव हो जाएगा और इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में निजी/प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। इससे कोल्‍ड स्‍टोरेज में निवेश बढ़ाने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (सप्‍लाई चेन) के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।

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उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा करना
सरकार ने नियामकीय व्‍यवस्‍था को उदार बनाने के साथ ही उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की है। संशोधन के तहत यह व्‍यवस्‍था की गई है कि अकाल, युद्ध, कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि‍ उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, मूल्‍य श्रृंखला (वैल्‍यू चेन) के किसी भी प्रतिभागी की स्‍थापित क्षमता और किसी भी निर्यातक की निर्यात मांग इस तरह की स्‍टॉक सीमा लगाए जाने से मुक्‍त रहेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि क्षेत्र में निवेश हतोत्‍साहित न हो। घोषित संशोधन मूल्‍यों में लाने के साथ-साथ किसानों और उपभोक्‍ताओं दोनों ही के लिए मददगार साबित होगा। इसके साथ ही भंडारण सुविधाओं के अभाव के कारण होने वाली कृषि उपज की बर्बादी को भी रोका जा सकेगा।

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कृषि उपज का बाधा मुक्त व्यापार
कैबिनेट ने कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को मंजूदी दी। कई तरह के नियामक प्रतिबंधों के कारण देश के किसानों को अपने उत्पाद बेचने में काफी दिक्कत आती है। अधिसूचित कृषि उत्पाद विपणन समिति वाले बाजार क्षेत्र के बाहर किसानों पर उत्पाद बेचने पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। उन्हें अपने उत्पाद सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त खरीदारों को ही बेचने की बाध्यता है। इसके अतिरिक्त एक राज्य से दूसरे राज्य को ऐसे उत्पादों के सुगम व्यापार के रास्ते में भी कई तरह की बाधाएं हैं। अध्यादेश के लागू हो जाने से किसानों के लिए एक सुगम और मुक्त माहौल तैयार हो सकेगा जिसमें उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की आजादी होगी। अध्यादेश से राज्य के भीतर और बाहर दोनों ही जगह ऐसे बाजारों के बाहर भी कृषि उत्पादों का उन्मुक्त व्यापार सुगम हो जाएगा जो राज्यों के कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के तहत अधिसूचित हैं। इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे। बाजार की लागत कम होगी और उन्हें अपने उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इसके अलावा अतिरिक्त उपज वाले क्षेत्रों में भी किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम मिल सकेंगे और साथ ही दूसरी ओर कम उपज वाले क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को भी ज्यादा कीमतें नहीं चुकानी पड़ेंगी। अध्यादेश में कृषि उत्पादों का सुगम कारोबार सुनिश्चित करने के लिए एक ई-प्लेटफॉर्म बनाए जाने का भी प्रस्ताव है।

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एक देश, एक कृषि बाजार
अध्‍यादेश का मूल उद्देश्य एपीएमसी बाजारों की सीमाओं से बाहर किसानों को कारेाबार के अतिरिक्‍त अवसर मुहैया कराना है जिससे उन्‍हें प्रतिस्‍पर्धात्‍मक माहौल में अपने उत्‍पादों की अच्‍छी कीमतें मिल सकें। यह निश्चित रूप से ‘एक देश, एक कृषि बाजार’ बनाने का मार्ग प्रशस्‍त करेगा और कठोर परिश्रम करने वाले हमारे किसानों के लिए उपज की मुंह मांगी कीमत सुनिश्ति करेगा। किसानों को प्रसंस्करणकर्ताओं, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों से जोड़कर सशक्त बनाना।  कैबिनेट ने ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020’ को स्वीकृति दे दी है। भारतीय कृषि को खेतों के छोटे आकार के कारण विखंडित खेती के रूप में वर्गीकृत किया जाता और मौसम पर निर्भरता, उत्पादन की अनिश्चितता और बाजार अनिश्चितता इसकी कुछ कमजोरियां हैं। इसके चलते कृषि जोखिम भरी है और इनपुट तथा आउटपुट प्रबंधन के मामले में अप्रभावी है।

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अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रसंस्करणकर्ताओं (प्रोसेसर्स), एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम प्रायोजक पर हस्तांतिरत हो जाएगा और साथ ही किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच भी सुनिश्चित होगी। इससे विपणन की लागत में कमी आएगी और किसानों की आय में सुधार होगा। यह अध्यादेश किसानों की उपज की वैश्विक बाजारों में आपूर्ति के लिए जरूरी आपूर्ति चेन तैयार करने को निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करने में एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। किसानों की ऊंचे मूल्य वाली कृषि के लिए तकनीक और परामर्श तक पहुंच सुनिश्चित होगी, साथ ही उन्हें ऐसी फसलों के लिए तैयार बाजार भी मिलेगा। किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। किसानों को पर्याप्त सुरक्षा दी गई है और समाधान की स्पष्ट समयसीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र भी उपलब्ध कराया गया है।

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सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है
कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे लोगों को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के तौर पर कई कदमों की घोषणा की गई। इनमें किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए रिआयती ऋण देना, कृषि-ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्तीय सुविधा, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मछलीपालन को मजबूत करने के लिए अन्य उपाय, पैर व मुंह की बीमारी और ब्रूसीलोसिस के खिलाफ टीकाकरण, हर्बल खेती को प्रोत्साहन, मधुमक्खी पालन को बढ़ावा और ऑपरेशन ग्रीन जैसे प्रावधान शामिल हैं। पीएम किसान के माध्यम से 9.25 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों को लाभ मिला है और लॉकडाउन की अवधि में 18,517 करोड़ रुपये की राशि अब-तक वितरित की जा चुकी है। पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत किए गए कुल 6003.6 करोड़ रुपये के बराबर दावों को लॉकडाउन की अवधि में अदा किया जा चुका है।