भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘सबको साख-सबका विकास’ कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बालाघाट, मंदसौर, भिण्ड, मुरैना और रायसेन के मत्स्य पालकों, पशु पालकों और कृषकों से बातचीत की।
जीरो प्रतिशत पर ऋण बड़ी राहत है
बालाघाट के मत्स्य पालक अरविंद से मुख्यमंत्री चौहान ने चर्चा की। मत्स्य पालक अरविंद ने बताया कि उनके समूह में पंद्रह सदस्य हैं। समूह को डेढ़ लाख का ऋण मिला। समूह सिंघाड़ा और मछली पालन करता है। लगभग 10-12 टन मछली उत्पादन होता है, जिससे 8 से 10 लाख रुपये की आमदनी होती है। जो सदस्यों में बराबरी से बांटी जाती है। मुख्यमंत्री चौहान ने पूछा की यदि किसान क्रेडिट कार्ड नहीं होता तो पैसे की व्यवस्था कैसे होती। इस पर अरविंद ने बताया कि मजबूरी में 5 से 10 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज पर पैसा उठाया है। अब जीरो प्रतिशत पर मिल रहा ऋण बड़ी राहत है।
Read More: चेन्नई सुपरकिंग्स ने टॉस जीतकर करेगी गेंदबाजी, राजस्थान रायल्स को बल्लेबाजी सौंपी
मोबाइल पर मेसेज आया और लोन मिल गया
मुख्यमंत्री चौहान ने मंदसौर के कृषक व पशुपालक नंदकिशोर से पूछा कि लोन मिलने में कोई दिक्कत या परेशानी तो नहीं हुई। इस पर नंदकिशोर ने कहा कि मोबाइल पर मेसेज आया और लोन मिल गया। नंदकिशोर ने बताया कि पिछले साल से पशु पालन शुरु किया है। अब 5 गाय-भैंस हैं। दुग्ध उत्पादन से आय बढ़ी है। मुख्यमंत्री चौहान ने बच्चों की पढ़ाई के बारे में जानकारी ली और कहा कि खेती के साथ-साथ पशु पालन सहायक व्यवसाय है। दोनों आपस में जुड़े हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने किसानों से खेती के साथ-साथ पशुपालन से जुड़ने की भी अपील की।
24 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की जगह जीरो प्रतिशत पर लिया ऋण
मुख्यमंत्री चौहान को भिण्ड के साढ़े तीन बीघा के किसान राकेश तोमर ने बताया कि जरूरत होने पर 24 प्रतिशत सालाना ब्याज पर भी पैसा उठाकर खाद-बीज की व्यवस्था की है। मेहनत में कोई कमी नहीं है, रबी और खरीफ फसल के साथ-साथ सब्जी भी उगा रहे हैं। जरूरत के समय जबरिया ब्याज ने बहुत तकलीफ दी, अब केसीसी से राहत मिली है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ऋण समय पर चुकाना मत भूलना।
क्रेडिट कार्ड से दूर हुई अनिश्चिता
मुरैना के कृषक हरिशचंद्र ने मुख्यमंत्री चौहान को बताया कि उन्होंने बैंक से केसीसी लेने की कोशिश की पर अंतत: सहकारी बैंक से उन्हें केसीसी मिल पाया। मुख्यमंत्री चौहान ने पूछा कि क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद क्या बदलाव आया। इस पर हरीशचन्द्र ने बताया कि पहले स्थिति यह थी कि फसल में पानी, खाद, कीटनाशक की जरूरत होने पर पैसे के लिए साहूकारों का मुंह देखना पड़ता था। ‘वाजिब ब्याज पर पैसा मिल जाए तो ठीक, नहीं तो फसल भगवान भरोसे’। क्रेडिट कार्ड मिलने से यह अनिश्चिता दूर हुई है। मुख्यमंत्री चौहान ने सांची-रायसेन के सौदान सिंह से बातचीत कर ऋण तथा खाद-बीज की उपलब्धता संबंधी जानकारी ली।