भोपाल। मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर मुख्यमंत्री ने सख्त निर्देश दिए हैं। फीस ना देने पर भी बच्चों के नाम नहीं काट सकेंगे स्कूल।छठवीं से व्यावसायिक शिक्षा, योग नैतिक शिक्षा भी कोर्स में होंगे शामिल। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के साथ रोजगार पर भी फोकस किया गया है। अब प्री प्राइमरी में 3 दिन अभिभावकों की लगेगी क्लास।
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सीएम शिवराज ने साफ किया है कि भले ही किसी छात्र के अभिभावक फीस जमा ना कर पाए, लेकिन तब भी उस छात्र का नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई शिक्षा नीति को लेकर मध्य प्रदेश में एक टीम गठित करने के निर्देश स्कूल शिक्षा मंत्री को दिए हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू करने के लिए शिक्षा मंत्री एक टीम गठित करें जो इस संबंध में कार्रवाई के लिए रूपरेखा बनाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विशेष रूप से व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाना है, जिससे बच्चा शुरू से ही अपने क्षेत्र में दक्षता हासिल कर ले तथा उसे भावी जीवन में एक अच्छे अवसर हासिल हो सके।
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नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली पाठ्यक्रम में योग और नैतिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया जाए। सीएम ने प्रदेश में बड़ी संख्या में गांवों के क्लस्टर में उच्च गुणवत्ता वाले स्कूल विकसित करने की बात कही। एमपी में जल्द ही ऐसे 10,000 स्कूल विकसित किए जाने की योजना बनाई जा रही है।
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स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा है कि केंद्र द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। इसके क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश लीड ले इसके लिए सभी प्रावधानों पर राज्य की परिस्थितियों के अनुसार अमल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान न देकर उनका कौशल विकसित करने के लिए प्रदेश में कक्षा छठवीं से ही व्यवसायिक शिक्षा दिए जाने के प्रावधान को जल्दी से जल्दी लागू किया जाएगा। स्कूली पाठ्यक्रम में संगीत, दर्शन कला, नृत्य के साथ ही योग का भी समावेश किया जाएगा।