CM भूपेश ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण | CM Bhupesh wrote a letter to PM Modi, saying - Decision to hand over Nagarnar Steel Plant to private hands unfortunate for Chhattisgarh

CM भूपेश ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण

CM भूपेश ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : August 27, 2020/11:41 am IST

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर पुनः विचार करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है- एनएमडीसी द्वारा लगभग 20 हजार करोड़ रूपए से अधिक के लागत से बस्तर स्थित निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट का निकट भविष्य में प्रारंभ होना संभावित है। इस स्टील प्लांट के प्रारंभ होते ही बस्तर की बहुमूल्य खनिज सम्पदा का दोहन बस्तर स्थित एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट में उपयोग से राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट सहयोग प्रदान होने एवं इस औद्योगिक इकाई के शुभारंभ होने से क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की संभावनाओं से गौरान्वित महसूस कर रहे थे।

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किन्तु विगत दिनों कुछ समाचार पत्रों एवं अन्य माध्यमों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि केन्द्र सरकार बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी लोगों के हाथों में बेचने की तैयारी में है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाए। केन्द्र सरकार के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा।

नगरनार स्टील प्लांट का इस प्रकार के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है। भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे है तथा इनके मध्य शासन-प्रशासन के विरूद्ध असंतोष की भावना व्याप्त हो रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखा कि आप इस बात से भली-भांति अवगत होंगे कि राज्य शासन काफी अथक प्रयासों से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफल हुई है।

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इन परिस्थितियों में नगरनार स्टील प्लांट का इस प्रकार के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है। भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहें है तथा इनके मध्य शासन-प्रशासन के विरूद्व असंतोष की भावना व्याप्त हो रही है। आप इस बात से भली-भांति अवगत होंगे कि राज्य शासन, काफी अथक प्रयासों से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफल हुई है। इन परिस्थितियों में नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण होने से नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के असंतोष का अनुचित लाभ उठाने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।

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उन्होंने अवगत कराया कि नगरनार स्टील प्लांट के लिए लगभग 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है, जो ’सार्वजनिक प्रयोजन’ के लिए ली गई है। इसके साथ ही नगरनार स्टील प्लांट में लगभग 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन आज भी छत्तीसगढ़ शासन की है। इसमें से केवल 27 हेक्टेयर जमीन 30 वर्षों के लिए सशर्त एनएमडीसी को दी गई है, बाकी पूरी शासकीय जमीन छत्तीसगढ़ शासन के स्वामित्व की है और राज्य शासन ने जो जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित की है, उसकी पहली शर्त यही है कि उद्योग विभाग द्वारा भूमि का उपयोग केवल एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किये जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हितों एवं उनके नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिए पेसा कानून, 1996 लागू है। राज्य शासन, छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हितों की सुरक्षा हेतु सदैव कृत संकल्पित है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को हमारे मार्गदर्शक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 श्री जवाहरलाल नेहरू जी ने आगे बढ़ाया था और इनके महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन हमेशा इनकी प्रगति में अपना सहयोग देगा।

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उन्होंने यह भी अवगत कराया कि विगत माह ही राज्य शासन के द्वारा एनएमडीसी का बैलाडिला स्थित 04 लौह अयस्क के खदानों को आगामी 20 वर्ष की अवधि के लिए विस्तारित किया गया है, जिससे कि बस्तर क्षेत्र में रोजगार के नित नये अवसर सृजित होते रहें. इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा मिले तथा यहां की जनता विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकें।

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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर पुनः विचार करे और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में यथावत प्रारंभ कर कार्यरत रहने दें, ताकि बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में आधारभूत मदद मिल सके।

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