रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य में सिंचाई क्षमता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सिंचाई परियोजनाओं के रखरखाव एवं जीर्णाेंद्धार पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने नहर लाईनिंग एवं सिंचाई परियोजनाओं के मिट्टी के काम को वृहद पैमाने पर मनरेगा से कराने के निर्देष दिए। मुख्यमंत्री ने राज्य की प्रमुख नदियों विशेषकर खारून, हसदेव, षिवनाथ, अरपा, मनियारी का सीमांकन कराए जाने के साथ इन नदियों में उपयुक्त स्थलों पर जल संग्रहण संरचनाएं बनानेे तथा नदियों के दोनों किनारों पर वृहद पैमाने पर वृक्षारोपण की कार्ययोजना तैयार करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने खारून नदी में बने स्टापडेम एवं एनीकट के रखरखाव एवं मरम्मत के कार्य को प्राथमिकता से कराने के निर्देष दिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में जल संसाधन विभाग के कामकाज की गहन समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य भर में निर्मित सिंचाई परियोजनाओं के वास्तविक सिंचाई क्षमता को हासिल करने का उपाय किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकतम सिंचाई क्षमता हासिल करने के लिए सिंचाई परियोजनाओं के रखरखाव एवं संधारण पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने राज्य की षिवनाथ नदी एवं खारून नदी के दोनों किनारों पर उचित स्थान पर डाईकवाल तथा विद्युत लाइन बिछाने की भी कार्य योजना तैयार करने के निर्देष अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि इसे नदी के किनारे वाले गांव के किसानों को सिंचाई की सुविधा सहजता से उपलब्ध होने के साथ ही भू-जल स्तर में सुधार होगा। मुख्यमंत्री ने नदियों के जल प्रदूषण की रोकथाम के संबंध में भी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, जल संसाधन विभाग के सचिव अविनाश चम्पावत, उप सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय सौम्या चैरसिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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बैठक में जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि बीते एक वर्ष में सिंचाई परियोजनाओं की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से कराए गए कार्याें की बदौलत बीते खरीफ सीजन में लगभग डेढ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक सिंचाई हो सकी है। उन्होंने बताया कि इस साल रबी फसलों की सिंचाई में भी इसका लाभ राज्य के किसानों को मिला है। बीते वर्ष 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस साल रबी सीजन में 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए जलापूर्ति की गई है, जो लगभग 37 हजार हेक्टेयर अधिक हैै। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 के बजट में शामिल सिंचाई परियोजनाओं से लगभग 77 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता का पुर्नस्थापन तथा साढे चार लाख हेक्टेयर में नवीन सिंचाई क्षमता सृजित किया जाना प्रस्तावित है।
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बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव अनिवाश चम्पावत ने राज्य में सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से पुनस्र्थापित सिंचाई क्षमता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में 8 वृहद, 37 मध्यम, 2401 लघु सिंचाई योजनाएं, 727 एनीकट तथा 30 नलकूप लघु सिंचाई योजनाएं हैं। जिनकी कुल रूपांकित सिंचाई क्षमता 19.55 लाख हेक्टेयर है। वर्तमान में इनमें माध्यम से 10.60 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हेतु जलापूर्ति हो पा रही है। उन्होंने सिंचाई परियोजनाओं की वास्तविक क्षमता को हासिल करने के लिए विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी देते हुए बताया कि इनके शीर्ष कार्य एवं नहर लाईनिंग का मरम्मत प्रमुखता से कराया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में सिंचाई के गैप फिलिंग के कार्यों, नवीन सिंचाई योजनाओं के निर्माण, सूक्ष्म, सौर सूक्ष्म सिंचाई, उद्वहन सिंचाई तथा लिंक परियोजना तथा काडा नाली निर्माण के माध्यम से लगभग 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान ग्रामीणों को गांव में रोजगार देने के लिए विभाग द्वारा 195 करोड़ रूपए की लागत वाले कार्य शुरू कराए गए हैं। बैठक में औद्योगिक बैराजों के माध्यम सें जल आबंटन बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में जल संसाधन विभाग के प्रमुख निर्माणाधीन परियोजनाओं विशेषकरअरपा भैंसाझार, सोंढूर जलाशय, भाटापारा शाखा नहर योजना, केलो परियोजना, समोदा निसदा व्यपवर्तन की प्रगति की भी समीक्षा की गई। बैठक में जानकारी दी गई कि गांवों में निस्तारी की सुविधा के लिए 5 हजार ग्रामीण तालाबों में जल भराव का लक्ष्य पूर्णता की ओर है।