रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की समीक्षा बैठक में मक्का किसानों के हित में एक बड़ा निर्णय लेते हुए अब सभी समितियों में खरीफ और रबी सीजन के मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ज्यादा मक्का उत्पादन वाले क्षेत्रों में मक्के से एथेनॉल उत्पादन के संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाए, इससे मक्का किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलेगा साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वर्तमान में चिन्हित समितियों में मक्के की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है। मक्के का उपयोग कुक्कुट आहार बनाने में और अवशेष का पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने गन्ने से एथेनॉल उत्पादन के संयंत्रों की स्थापना की पहल करने के निर्देश भी दिए।
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खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, सहकारिता मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा, विशेष सचिव सहकारिता हिमशिखर गुप्ता, राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के एम.डी. निरंजन दास, संचालक खाद्य किरण कौशल भी बैठक में उपस्थित थीं।
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मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि बीते धान खरीदी सीजन में कोविड-19 और केन्द्र से पर्याप्त संख्या में बारदानों की आपूर्ति नहीं होने के कारण धान उपार्जन में दिक्कतें आयी थीं। उन्होंने अधिकारियों को इसको ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्तर पर धान उपार्जन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं एवं बारदानों का इंतजाम सुनिश्चित करें। उन्होंने रायगढ़ की बंद जूट मिल को पुनः प्रारंभ कराने के लिए अधिकारियों को प्रयास करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष राजीव गांधी किसान न्याय योजना में नए प्रावधान किए गए हैं। इस योजना का लाभ अधिक से अधिक किसान उठा सकें इसके लिए धान खरीदी केन्द्रों में इस योजना के बैनर लगाए जाएं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान के साथ मक्का, गन्ना, कोदो, कुटकी, सोयाबीन, दलहन, तिलहन की फसलों को शामिल किया गया है। धान के स्थान पर अन्य चिन्हित फसल लेने वाले किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। धान की जगह वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 3 वर्ष तक प्रति वर्ष 10 हजार रूपए प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान है।
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मुख्यमंत्री ने बैठक में खरीफ सीजन के लिए खाद भण्डारण एवं विक्रय की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केन्द्र से मांग की तुलना में रासायनिक उर्वरकों की काफी कम आपूर्ति की गई है। किसानों को खाद के लिए समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए। बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ 2021 के लिए राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से मांग के विरूद्ध अब तक कुल 4.49 लाख मेट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति ही की गई है, जो कुल मांग का 43.87 प्रतिशत है। यूरिया के लिए 5.50 लाख मेट्रिक टन की मांग की गई थी, जिसके विरूद्ध मात्र 2.33 लाख मेट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 42.38 प्रतिशत है। इसी प्रकार डीएपी की 3.20 लाख मेट्रिक टन मांग के विरूद्ध 1.22 लाख मेट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 38.40 प्रतिशत है।
बैठक में बताया गया कि इसी तरह एनपीके के लिए कुल 80 हजार मेट्रिक टन की मांग केन्द्र सरकार को प्रेषित की गई थी, जिसके विरूद्ध 49 हजार मेट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 61.57 प्रतिशत है। एमओपी के लिए 75 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध 44 हजार मेट्रिक टन की आपूर्ति की गई जो कुल मांग पर 59.24 प्रतिशत है। बैठक में बताया गया कि छत्तीसगढ़ को मांग अनुरूप उर्वरकों की आपूर्ति करने का आग्रह किया गया, लेकिन आपूर्ति नहीं की गई। अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ को कुल आबंटन के विरूद्ध कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है। छत्तीसगढ़ का स्थान यूरिया के आबंटन में देश में 19वां, डीएपी में 15वां स्थान है।
मुख्यमंत्री ने समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों के पंजीयन के दौरान पंजीकृत किसानों की संख्या, पंजीकृत रकबा, धान बेचने वाले किसानों की संख्या, बेचे गए धान के रकबे, धान की जगह चिन्हित फसल लेने के लिए किसान द्वारा तय किए गए रकबा तथा वृक्षारोपण करने के लिए तय रकबे की जानकारी एक ही पोर्टल पर पंजीकृत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे धान के स्थान पर किसान द्वारा चिन्हित फसल लेने के लिए रकबे और वृक्षारोपण के लिए तय किए गए रकबे की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी। इससे योजना की मॉनिटरिंग के साथ किसानों को तय प्रावधानों के तहत इनपुट सब्सिडी की राशि के भुगतान में आसानी होगी। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने समितियों में अतिशेष धान का उठाव जल्द करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2020-21 में समितियों में 10.72 लाख मेट्रिक टन धान शेष था, जिसमें से 9.61 लाख मेट्रिक टन की नीलामी की गई। जिसमें से 8.73 लाख मेट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है।
बैठक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, वन नेशन वन राशनकार्ड योजना सहित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में यह जानकारी दी गई कि वर्षा से धान को बचाने के लिए उपार्जन केन्द्रों में 8424 चबूतरों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 7667 चबूतरों का निर्माण पूरा हो चुका है, 1298 उपार्जन केन्द्रों में 2260 शेड तथा शेड सह गोदाम का निर्माण किया जा रहा है, 109 उपार्जन केन्द्रों में 13 करोड़ 60 लाख रूपए की लागत से 109 गोदाम बनाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य संचालकों को कमीशन का भुगतान प्रत्येक तिमाही में करने के निर्देश दिए।
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