रायपुर: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को पोला तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी है। प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का पोला तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। सांस्कृतिक, विरासत और परम्परा रही है कि हम खेती में सहायता के लिए पशुधन का आभार व्यक्त करते हैं। अन्न और भोजन से संबंधित बर्तन को भी सम्मान देते हैं।
ज्ञात हो कि 30 अगस्त को पूरे प्रदेश में पोला का त्योहार मनाया जाएगा। पोला मुख्यत: छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला त्योहार है। है। यह त्योहर भाद्र पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहर किसानों से जुड़ा हुआ है।
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पोला त्योहार मनाने को लेकर छत्तीसग़ढ़ के लोगों का ऐसा मानना है कि इस दिन अन्नमाता गर्भ धारण करती है। इसका मतलब है कि इस दिन धन के पौधे में दूध भरता है। इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोगों को खेत जाने की मनाही होती है।
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इस पर्व पर महिलाएं घरों में तरह-तरह के पकवान बनाती हैंं। इन पकवानों को मिट्टी के बर्तन, खिलौने में पूजा करते समय भरते हैं ताकि बर्तन हमेश अन्न से भरा रहे। बच्चों को मिट्टी के बैल मिट्टी के खिलौने मिलते हैं। पुरुष अपने पशुधन को सजाते हैं, पूजा करते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं। मिट्टी के बैलों को लेकर बच्चे घर-घर जाते हैं जहाँ उन्हें दक्षिणा मिलती है।
गांव में युवक-युवतियाँ एवं बच्चे अपने-अपने साथियों के साथ गांव के बाहर मैदान में पोरा पटकने जाते हैं। इस परंपरा में युवक युवतियां अपने-अपने घरों से एक-एक मिट्टी के खिलौना ले जाकर निर्धारित स्थान में फोड़ते हैं और बाद में अपनी-अपनी टोली बनाकर मैदान में सूरपाटी, कबड्डी, खो-खो खेल खेलते हैं।