रायपुर: तीन साल पहले आज के दिन यानी आठ नवंबर को रात आठ बजे पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था। अब नोटबंदी के तीन साल पूरा होने पर कांग्रेस और सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने नोटबंदी को लेकर पीएम मोदी पर करारा प्रहार किया है।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”hi” dir=”ltr”>नोटबंदी के तीन साल-<br><br>ये कैसा सफर<br>क्या हुआ असर<br><br>होना था आतंकवाद का खात्मा<br>रो रही इकॉनॉमी, जीडीपी की आत्मा<br><br>"कालाधन पे पाबंदी" कहाँ है<br>हर क्षेत्र में अब "मंदी" यहाँ है<br><br>नौकरियाँ जा रही हैं, बंद हो रहा धंधा<br>फिर भी साहेब कह रहे, यहाँ सब है चंगा<a href=”https://twitter.com/hashtag/DeMonetisationDisaster?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#DeMonetisationDisaster</a></p>— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) <a href=”https://twitter.com/bhupeshbaghel/status/1192689144171880448?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 8, 2019</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
सीएम भूपेश ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल में लिखा है कि नोटबंदी के तीन साल- ये कैसा सफर, क्या हुआ असर। होना था आतंकवाद का खात्मा, रो रही इकॉनॉमी, जीडीपी की आत्मा। “कालाधन पे पाबंदी” कहां है, हर क्षेत्र में अब “मंदी” यहां है। नौकरियाँ जा रही हैं, बंद हो रहा धंधा। फिर भी साहेब कह रहे, यहाँ सब है चंगा।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”hi” dir=”ltr”>जब रात 8 बजे वो टी.वी पर आया था <br>तब हर गरीब रोया, अमीर मुस्कुराया था<br><br>आतंक, नक्सल, कालाधन, कैशलेस और न जाने क्या क्या<br>भरमाने को उसने सैकड़ों भ्रामक बाणों को चलाया था<br><br>"नोटबंदी" से "मंदी" तक का बस इतना फसाना था <br>"पाबंदी" किसी पर नहीं, बस जनता को फँसाना था<a href=”https://twitter.com/hashtag/DeMonetisationDisaster?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#DeMonetisationDisaster</a></p>— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) <a href=”https://twitter.com/INCChhattisgarh/status/1192682842829910016?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 8, 2019</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
वहीे, नोटबंदी को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा है कि जब रात 8 बजे वो टी.वी पर आया था, तब हर गरीब रोया, अमीर मुस्कुराया था। आतंक, नक्सल, कालाधन, कैशलेस और न जाने क्या क्या, भरमाने को उसने सैकड़ों भ्रामक बाणों को चलाया था। “नोटबंदी” से “मंदी” तक का बस इतना फसाना था। “पाबंदी” किसी पर नहीं, बस जनता को फँसाना था।
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