सीएम भूपेश बघेल बोले- मोदी सरकार का Budget 2020 शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का है, जो खुश होता है समस्याओं से मुंह छिपाकर | CM Bhupesh baghel says- Modi Government Budget 2020 is Like of Ostrich

सीएम भूपेश बघेल बोले- मोदी सरकार का Budget 2020 शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का है, जो खुश होता है समस्याओं से मुंह छिपाकर

सीएम भूपेश बघेल बोले- मोदी सरकार का Budget 2020 शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का है, जो खुश होता है समस्याओं से मुंह छिपाकर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : February 1, 2020/12:50 pm IST

रायपुर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आम बजट पेश किया। केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद पूरे देश के लोगों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। जहां भाजपा नेता इस विकास और सबको खुशियां देने वाला बजट बता रहे हैं तो वहीं, विपक्ष के नेता इसे निराशाजनक बजट बता रहे हैं। इसी कड़ी में सीएम भूपेश बघेल ने बजट 2020 पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंन मोदी सरकार के बजट को शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का बजट है बताया है।

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केन्द्र सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि यह शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का बजट है जो मूलभूत समस्याओं से मुंह छिपाकर ख़ुश होना चाहता है। उन्होंने कहा है कि इस समय देश में मांग की कमी है जिसकी वजह से देश मंदी की ओर जा रहा है और इसके मूल में जनता की जेब में पैसों की कमी है लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने जनता तक पैसा पहुंचाने का कोई इंतज़ाम नहीं किया है।

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मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस समय भारत में बेरोज़गारी की दर सर्वाधिक है। केंद्र सरकार इसके आंकड़े छिपाती है इसमें आश्चर्य नहीं है लेकिन बजट में रोज़गार और बेरोज़गारी का ज़िक्र ही न होना दुखद है। देश में किसानों को सम्मान निधि का पैसा नहीं मिल रहा है इस पर वित्त मंत्री चुप रह गईं। छत्तीसगढ़ धान उगाने वाले किसानों का प्रदेश है जिसकी 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। इन किसानों के लिये निर्मला जी के बजट में कोरी जुमलेबाजी तो है लेकिन किसानों को सच्ची राहत पहुंचाने के लिये कुछ भी नहीं किया गया है। 2022 में किसानों की आय दुगुनी करने की तमाम घोषणाएं कैसे पूरा होगी, इस पर बजट खामोश है। उन्होंने कहा है कि बजट सरकारी संस्थाओं पर अविश्वास की एनडीए सरकार की धारणा को आगे बढ़ाता है और सभी संस्थाओं को कमज़ोर करने की राह पर ले जाता है।

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