सीएम बघेल ’लोकवाणी’ की सातवीं कड़ी में बच्चों से हुए रूबरू, बताए परीक्षा की तैयारी और तनाव से निपटने के गुर | CM Baghel told the children in the seventh episode of 'Lokvani' about preparing for the exam and dealing with stress

सीएम बघेल ’लोकवाणी’ की सातवीं कड़ी में बच्चों से हुए रूबरू, बताए परीक्षा की तैयारी और तनाव से निपटने के गुर

सीएम बघेल ’लोकवाणी’ की सातवीं कड़ी में बच्चों से हुए रूबरू, बताए परीक्षा की तैयारी और तनाव से निपटने के गुर

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 PM IST
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Published Date: February 9, 2020 5:41 am IST

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की सातवी कड़ी में ‘परीक्षा प्रबंधन और युवा कैरियर के आयाम‘ विषय पर विद्यार्थियों से आत्मीयता के साथ बातचीत की। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि समय का पूरा सदुपयोग करें, परीक्षा के समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे। बघेल ने कहा कि आप अपना पूरा प्रयास करें अधिक अंक मिले तो अच्छा है और न मिले तो भी अच्छा है। इससे कुछ बनता बिगड़ता नहीं है। बिना उच्चतम अंक पाए बहुत से लोग अपने बेहतर कार्यों के दम पर शिखर पर पहुंचे हैं। उन्होंने बच्चों को परीक्षा की तैयारी, तनाव से निपटने के उपायों की जानकारी देते हुए बच्चों के अभिभावकों से भी यह आग्रह किया कि वे परीक्षा की तैयारी में अपने बच्चों के सहयोगी बने। परीक्षा में उच्च अंक लाने का उन पर दबाव न डाले। प्रदेश के विभिन्न शहरों और गांवों के बच्चों ने मुख्यमंत्री से अनेक सवाल पूछे जिनका मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार जवाब दिया। भूपेश बघेल ने बच्चों के साथ चर्चा करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा समय आपके साथ बिताऊ। बच्चों के साथ बातचीत करने से मुझे भी अपने बचपन के दिन याद आते हैं।

डर छोड़कर साहसी बने, अपनी मेहनत पर रखें भरोसा

बघेल ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि ’जो रखते हैं उड़ने का शौक, उन्हें नहीं होता गिरने का खौफ’। मुख्यमंत्री ने परीक्षा के समय होने वाले डर और तनाव से निपटने के उपायों के संबंध में कहा कि सबसे पहले तो इस डर के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है। जब तक आप डर के बारे में सोच-सोचकर डरते रहेंगे, तब तक मन से डर को बाहर निकाल फेंकने का प्रयास शुरू ही नहीं कर पायेंगे। सवाल सिर्फ पढ़ाई के डर का नहीं है, बल्कि स्वभाव का है कि आप हिम्मत वाले, साहसी, निडर कहलाना चाहते हैं या डरपोक। निश्चित तौर पर आप सब साहसी कहलाना पसंद करेंगे। मुझे लगता है कि तैयारी में किसी न किसी कारण से कोई कमी ही डर का कारण बनती है और दूसरा बड़ा कारण है कि आपने जितनी मेहनत की है, उससे अधिक की अपेक्षा रखने पर डर लगता है। बहुत अच्छी तैयारी के बाद भी अगर डर लगता है तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आत्म विश्वास की कमी है। इस तरह डर दूर करने के लिए अपने स्वभाव में बदलाव भी जरूरी होता है। तथ्य और तर्क के साथ विचार करने की आदत डालना जरूरी है। परीक्षा के समय बिलकुल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच के प्लेयर की तरह व्यवहार कीजिए। जो समय बीत गया, उसके बारे में मत सोचिए। सिर्फ ये सोचिए कि अभी जो समय आप के हाथ में है उसका पूरा सदुपयोग कैसे करेंगे। इस समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे।

टाइम-टेबल बनाकर करें पढ़ाई

बघेल ने बच्चों को सुझाव देते हुए कहा कि पूरी पढ़ाई का बोझ एक साथ लेकर न बैंठंे। टाइम टेबल बनाकर पढ़ें। जब जिस विषय की पढ़ाई कर रहे हो, तब सिर्फ उस पर ध्यान केन्द्रित करें। इधर-उधर की चिंता न करें, इससे आपकी एक-एक विषय की तैयारी पूरी होती जाएगी। इसके अलावा अपनी रूचि के अनुसार कोई न कोई काम करते रहें। दिन में 5-7 मिनट कोई गाना गुनगुना लें, कोई प्रार्थना कर लें, थोड़ा उछल-कूद घर पर ही कर लें। ऐसे तमाम उपाय हैं, जो आपका डर दूर कर सकते हैं, और आखिरी बात है- मन के हारे-हार है, मन के जीते-जीत। बघेल ने एक विद्यार्थी साहिल रिजवी के प्रश्न के जवाब में कहा कि मैं हमेशा इस बात पर विश्वास करता हूं कि मेहनत पूरी करना है, बाकी जो होगा देखा जाएगा। मजदूर परिवार के बेटे मुकेश साहू से मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि आपको कम सुविधाओं के कारण कठिनाई होती होगी। मैं सिर्फ एक बात कहता हूं कि तुम अपने माता-पिता की बात मान कर पढ़ाई करते रहो। डरो मत, जिंदगी से लड़ो और जीतो।

पालक बच्चों को पढ़ाई का अच्छा वातावरण देेने का प्रयास करें

लोकवाणी में बच्चों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि तनाव कम करने के संबंध में वे बच्चों के पालकों को भी संबोधित करे। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने पालकों से कहा कि परीक्षा के समय बच्चों को आत्मीयता और सहयोग की अधिक जरूरत होती है। ऐसे वक्त में बच्चों को अनावश्यक तनाव से बचाना जरूरी है। अपना काम बच्चों को बताने के बजाय, बच्चों के कार्यों में हाथ बंटाने का प्रयास करें ताकि बच्चों को आपका सहयोग प्रत्यक्ष रूप से दिखाई भी दे। कई बार ऐसा होता है आपके मन में तो प्यार, सहानुभूति और सहयोग की भावना सब कुछ है लेकिन आपका यह भाव बच्चों तक पहुंच नहीं पाता। उन्होंने कहा कि पालकों को बच्चों का कोई एसाइनमेंट, प्रेक्टिकल कॉपी, नो ड्यूस सर्टीफिकेट, एडमिट कार्ड, कंपास बॉक्स, पेन, जो कपड़े पहनकर परीक्षा देने जाना है, वैसी चीजों, के बारे में भी सहयोग देना चाहिए। ऐसा छोटा सहयोग भी बच्चों का मनोबल बढ़ाता है। पालक यह ध्यान रखें कि परीक्षा के समय अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें। सिर्फ अपने बच्चे का उत्साह बढ़ाने में ध्यान दें। साथ ही घर का वातावरण ऐसा रहे कि बच्चा शांति से मन को एकाग्र कर सके। बघेल ने कहा कि पालक बच्चों को सिर्फ अच्छे से पढ़ने और सफल होने के बारे में प्रेरित करें।

पालक अपने बच्चों की रूचि का सम्मान करें: स्कूलों में बच्चों के लिए रूचिकर वातावरण बनाने में सहयोग करें

एक पालक ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि मेरे लड़के का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लग रहा है। बघेल ने उनके प्रश्न के जवाब में कहा कि पालक होने के नाते आपको यह पता होना चाहिए कि बच्चे कि रूचि अगर पढ़ाई में नहीं है तो किस बात में है। शांत दिमाग से बच्चे के मन को समझने की कोशिश की जानी चाहिए। हमें बच्चों की रूचि का सम्मान करना सीखना पड़ेगा। मेरी सलाह यह होगी कि यदि बच्चे की रूचि पढ़ाई में अधिक नहीं है तो उसे प्यार से समझाने की जरूरत है। जहां तक स्कूल न जाने का सवाल है तो पालक को स्कूल में जाकर यह समझना चाहिये कि बच्चे की कोई निजी समस्या तो नहीं है। स्कूल के वातावरण में तो कोई ऐसी बात तो नहीं है जिसका असर हो रहा हो। स्कूल में रोचकता का वातावरण बनाने के दिशा में आप शाला प्रबंधन या समिति से चर्चा कर सकते हैं।

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में कैरियर कांउसिलिंग की व्यवस्था

लोकवाणी में एक छात्रा खुशबू ने मुख्यमंत्री से पूछा कि राज्य स्तरीय युवा महोत्सव किस तरह कैरियर चुनने में सहायक हो सकता है? बघेल ने कहा कि परीक्षा के तनाव के सवालों के बीच यह सवाल आना वैसे ही ताजा हवा के झोंके की तरह लग रहा है। हर किसी की जिन्दगी में शिक्षा से बड़ा परिवर्तन आता है शिक्षा से कैरियर के बहुत सारे रास्ते खुल जाते हैं। लेकिन अगर कोई बच्चा पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं है और वह, अच्छा काम करना चाहता है, नाम कमाना चाहता है तथा कुछ अलग कैरियर बनाना चाहता है। तो उसके सवालों का जवाब ‘‘युवा महोत्सव’’ जैसे आयोजन से मिलता है, जहां बच्चे अपनी अभिरूचियों के बारे में खुलकर बात कर सकें। यदि किसी बच्चे को अपनी संस्कृति, संस्कार, गांव, कस्बे में अपने परिवेश से कोई ऐसा हुनर मिल जाता है, जो व्यक्तित्व और संभावनाओं को जोड़ दे, तो ऐसे हुनर को लेकर भी आप कोई ऐसा रोजगार, कारोबार, कलाकारी के बारे में सोच सकते हैं। युवा उत्सव में ब्लॉक स्तर से जिला स्तर तक लाखों युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित हुई। प्रतिभायें क्रमशः आगे बढ़ते-बढ़ते राज्य स्तर तक आईं। राज्य स्तर पर 7 हजार लोगों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और प्रतियोगिता में शामिल हुए। इससे छत्तीसगढ़ की तासीर को एक बार फिर से समझने-समझाने का मौका मिला। पढ़ाई के तनाव से अलग हटकर माहौल बना। युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ा। इस अवसर पर कैरियर काउंसिलिंग की व्यवस्था भी थी। इसलिए हमने यह निर्णय लिया है कि अब हर साल युवा महोत्सव का आयोजन किया जायेगा।

युवा शक्ति को रचनात्मक दिशा देने ’राजीव युवा मितान क्लब’ का गठन

लोकवाणी में सरगुजा के अमन गुप्ता ने ‘‘राजीव युवा मितान क्लब’’ के बारे में प्रश्न पूछा। मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि हमने यह तय किया है कि युवा शक्ति को रचनात्मक और सकारात्मक दिशा देने के लिए गांव-गांव में राजीव युवा मितान क्लब के माध्यम से एक ओर जहां हम युवाओं को वैचारिक रूप से भारत के संविधान, भारत की संस्कृति, अपने प्रदेश की अस्मिता, ग्राम सेवा, सामाजिक सरोकार, पढ़े-लिखे युवाओं की ग्राम विकास में भागीदारी और अच्छे संस्कारयुक्त मनोरंजन के लिए प्रेरित करेंगे। हम ऐसी युवा शक्ति तैयार करना चाहते हैं जो अपनी माटी का सम्मान करे और अपनी माटी का कर्ज चुकाने को तैयार रहे। हर गांव में राजीव युवा मितान क्लब को हम 10 हजार रूपये महीने की सहायता देंगे। विभिन्न विधाओं के जानकार भी इस क्लब से जुड़ंेगे तो हमारी यह पहल सार्थक होगी।

मोबाइल, सोशल मीडिया का उपयोग अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने में करें

बच्चों ने मुख्यमंत्री से मोबाइल से ध्यान हटाने और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से बचने के उपायों के संबंध में भी प्रश्न पूछे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई टेक्नालॉजी का उपयोग जब हम अपनी सुविधा के लिए करते हैं तो उससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है। लेकिन यदि इस सुविधा का ज्यादा उपयोग सिर्फ मनोरंजन में होने लगता है और इससे समय खराब होता है तो दृढ़ निश्चय करके इसके उपयोग पर अंकुश लगाना चाहिए। निश्चित तौर पर परीक्षा के समय यदि जरूरी हो तो ही मोबाइल, इंटरनेट आदि का उपयोग करंे अथवा बिल्कुल नहीं करें। अपना पूरा समय पढ़ाई के लिए देना तय करेंगे, तो सब ठीक हो जाएगा।

स्कूल-कालेजों में 20 हजार पदों पर की जा रही है भर्ती

बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में ‘कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड’ बनाए गए

मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में रोजगार के अवसरों के संबंध में पूछे के सवालों के जवाब में बताया कि पढ़ाई और नौकरी, दोनों विषयों पर तनाव के साथ नहीं बल्कि ठण्डे दिमाग से सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में बेरोजगारी बड़ी तेजी से घटी है। इसका मतलब रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। हमने बड़े पैमाने पर स्थायी नौकरी के अवसर बनाए। जिसके कारण, स्कूल-कॉलेज में ही लगभग 20 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। सिर्फ शिक्षा नहीं बल्कि सारे विभागों में, ऐसे हजारों अवसर दिए जा रहे हैं। अनुसूचित क्षेत्र के युवा साथियों को बता दूं कि बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में तो न सिर्फ जिला संवर्ग में भर्ती की समय सीमा बढ़ाई, बल्कि तीनों संभागों के लिए अलग-अलग ‘कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड’ भी बनाए गए हैं, ताकि हर वर्ग के लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी मिले। प्रदेश में पहली बार खेल प्राधिकरण और लोककला परिषद का गठन जैसे कदम इसी दिशा में उठाए गए हैं। हमने स्थानीय बोली-भाषा में पढ़ाई का इन्तजाम, संविधान की प्रस्तावना का वाचन और उसके प्रावधानों पर चर्चा जैसे नए कदम भी उठाए हैं, ताकि आपको अपने अधिकारों और अवसरों के बारे में जानकारी मिल सके। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को आगामी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यदि सही समय पर सही योजना बनाकर काम करेंगे तो कोई भी आपको लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकता। आप सभी को आगामी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं।

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