आस्था की नगरी : पग-पग में मिलते श्रीराम के पद चिन्ह, शबरी के जूठे बेर खाकर दिया था प्रेम का संदेश | City of Faith: Ram's footsteps found in step-by-step The message of love was given by eating shabri's plum plum

आस्था की नगरी : पग-पग में मिलते श्रीराम के पद चिन्ह, शबरी के जूठे बेर खाकर दिया था प्रेम का संदेश

आस्था की नगरी : पग-पग में मिलते श्रीराम के पद चिन्ह, शबरी के जूठे बेर खाकर दिया था प्रेम का संदेश

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:10 PM IST
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Published Date: June 24, 2020 10:35 am IST

चांपा-जांजगीर । ज़िले में स्थित शिवरीनारायण में युगों-युगों से फहरती रही है धर्म की ध्वजा। त्रिवेणी संगम पर बसे इस प्राचीन शहर में कई पुरातन मंदिर मौजूद हैं। शिवरीनारायण का त्रेतायुग से ख़ास रिश्ता रहा है ।

कहां जाबे बड़ दूर हे गंगा, पापी इहें तरौ गा…..कुछ इसी भावके साथ लोग जोक, शिवनाथ और महानदी के इस संगम पर डुबकी लगाते हैं। न सिर्फ डुबकी लगाते हैं, बल्कि हर शाम श्रद्धा भाव के साथ चित्रोत्पला गंगा की आराधना भी करते हैं।

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शिवरीनारायण के घाट में हर रोज़ आस्था की अलख जगाई जाती है। घाट ही क्यों…यहां तो पग-पगपर मौजूद है आस्था के धाम। ये वो धरती है, जिसे भगवान राम के चरणों को चूमने का सौभाग्य मिला है। ये नगर है, जहां शबरी ने जूठे बेर खाए थे जगतपिता ने…और यहीं वो पवित्र पेड़ भी है, जिसके नीचे राम-लक्ष्मण ने कुछ देर विश्राम किया था।

शिवरीनारायण को मंदिरों का नगर कहें तो ग़लत नहीं होगा। यहां स्थित पुरातन नर-नारायण मंदिर को छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा मंदिर होने का गौरव प्राप्त है। नर-नारायण मंदिर के गर्भगृह में शिवरीनारायण की प्रतिमा स्थापित है। नर-नारायण मंदिर की वास्तु योजना और कलात्मकता बेमिसाल है।

नर-नारायण मंदिर परिसर में ही केशव नारायण का एक पुरातन मंदिर मौजूद है। ये मंदिर पश्चिमाभिमुख है। केशव नारायण मंदिर पुरातत्व की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। शिवरीनारायण का जगन्नाथ स्वामी से भी गहरा नाता रहा है। कहा जाता है कि यहां स्थित रोहणी कुंड से हुई थी स्वामी जगन्नाथकी उत्पत्ति।

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शिव और नारायण दोनों जब एक साथ हों, तभी पूर्ण होता है शिवरीनारायण। तभी तो यहां कई प्राचीन शिवधाम भी मौजूद हैं।यहां मौजूद लक्ष्मणेश्वर मंदिर की गिनती प्रदेश के प्रमुख शिवधामों में होती है। कहते हैं,राक्षस खर और दूषण के वध के बाद लक्ष्मणजी के सीने में दर्द होने लगा।तब श्रीराम के कहने पर उन्होंने यहीं पर रेत से शिवलिंग की स्थापना कर उसकी पूजा की थी। तब से ये लक्ष्मणेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में दो चमत्कारी कुंड मौजूद हैं। जिनके बारे में ये कहा जाता है, इनके पानी के सेवन ने सीने में होने वाले दर्द से छुटकारा मिल जाता है।

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शिवरीनारायण में बेशुमार मंदिर-मठ है। हरेक की अपनी कहानी है। हरेक की अपनी महत्ता है। बस आप घूमते जाइए। यहां के सिद्ध धाम अभिभूत कर देंगे आपको। सच तो ये है कि हर युग में जागृत तीर्थ स्थान के रूप में स्थापित रहा है शिवरीनारायण। यहां की हवाओं में और यहां की फ़िजा में आध्यात्म का रंग कुछ इस कदर घुला हुआ है कियहां कदम रखते ही दिव्यता के एहसास से भर जाता है दिल, और अनायास ही बज उठता है मन का मंजीरा।