नई दिल्ली । भारत- चीन के बीच मई के महीने से जारी विवाद में अब बड़ी खबर है। 15 जून को जिस जगह पर भारत- चीन की सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। उस स्थान से चीनी सेना करीब एक किमी पीछे चली गई है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच लगातार तनाव कम करने को लेकर मंथन चल रहा था, ऐसे में ये एक बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है। वहीं गलवान नदी क्षेत्र में चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी डेप्थ वाले क्षेत्रों में मौजूद हैं। भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है।
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class="twitter-tweet"><p lang="hi" dir="ltr">गलवान नदी क्षेत्र
में चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी डेप्थ वाले क्षेत्रों में मौजूद हैं।
भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है: भारतीय सेना के
सूत्र <a
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ANI_HindiNews (@AHindinews) <a
href="https://twitter.com/AHindinews/status/1280027277833785344?ref_src=twsrc%5Etfw">July
6, 2020</a></blockquote>
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बता दें कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गलवान घाटी में हिंसा वाले स्थल के पास से चीनी सेना करीब एक किमी पीछे चली गई है।
सूत्रों के हवाले से ये खबर है कि दोनों देशों की सेना ने रिलोकेशन पर सहमति जाहिर की है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं। गलवान घाटी के पास अब बफर जोन बनाया गया है, ताकि किसी तरह की हिंसा की घटना फिर ना हो पाए। चीनी सेना ने अपने टेंट, गाड़ी और सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया है। कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत में यह बात तय हुई है।
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भारतीय सेना ने 6 जून, 22 जून और 30 जून को चीनी सैन्य अधिकारियों से बात की थी। जिसमें मौजूदा स्थिति को वापस अप्रैल से पहले की स्थिति पर ले जाने की बात कही गई। भारत अपने मुद्दे पर अड़ा रहा, लेकिन चीन नहीं माना था। सीमा पार चीन की ओर से बढ़ाई जा रही सेना की मौजूदगी के जवाब में भारत ने भी अपनी तैनाती को बढ़ा दिया है। अब लद्दाख बॉर्डर पर भारतीय सेना की कई टुकड़ियां तैनात हैं।
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वहीं बीते शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी अचानक लेह पहुंच गए थे। पीएम मोदी नीमू पोस्ट पर पहुंचे थे, जो लद्दाख बॉर्डर से कुछ दूर था हालांकि यहां बड़ी संख्या में सेना के जवान मौजूद हैं। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यहां सख्त संकेत दिया था कि अब विस्तारवाद का वक्त चला गया है और विकासवाद का वक्त आ गया है. इसी बयान के बाद चीन बौखला गया था।
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