नई दिल्ली। कोरोना संकट के दौरान आनलाइन शिक्षा और आनलाइन वर्क व खाली समय के कारण मोबाइल फोन के साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। इस तरह वे मोबाइल एडिक्शन का शिकार बनते जा रहे हैं। बच्चों को मोबाइल फोन देना आजकल अभिभावकों की मजबूरी भी हुआ है, बच्चे कुछ देर उस पर पढ़ाई करते हैं। उसके बाद मौका देखते ही गेम खेलने लगते हैं, ऐसा करने की वजह से वे धीरे-धीरे मोबाइल एडिक्शन के शिकार होते जा रहे हैं। जिसके कारण उनमें चिड़चिड़ापन और गुस्सा लगातार बढ़ रहा है।
स्मार्ट फोन के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से बच्चों में अनिद्रा, आंखों और सिर में दर्द की समस्या भी बढ़ रही है, आराम के वक्त मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करने पर उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती, जिसके चलते वे Insomnia से पीड़ित हो रहे हैं और इस बीमारी में माइग्रेन, सिर दर्द, चक्कर आने जैसी परेशानी हो रही है।
अब सवाल यह है कि इन चीजों से कैसे बचें, बच्चों को मोबाइल एडिक्ट बनने से बचाने के लिए पैरंट्स को उनके साथ कुछ समय बिताना चाहिए, ऐसा करने से बच्चे बेहतर महसूस करते हैं और उनकी परिवार के साथ बॉन्डिंग मजबूत होती है, अगर आप खुले इलाके में रहते हैं तो कुछ देर बच्चे के साथ खेलने की भी कोशिश करें तो बेहतर होगा, इससे बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से फिट महसूस करते हैं।
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बच्चे का मोबाइल फोन देखने का समय तय कर दें. उसके बाद उन्हें फोन न दें। बच्चों के सोने के कमरे में कभी भी टीवी, लैपटॉप, या मोबाइल फोन ना रखें, इसके साथ ही आप अपने आप पर भी कंट्रोल करें और जरूरत न हो तो फोन न चलाएं, अगर आप खुद पर नियंत्रण नहीं लगाएंगे तो बच्चों पर आपकी बातों का कोई प्रभाव नहीं होगा।
अपने बच्चों को मोबाइल देखने की जगह क्रियात्मक काम करने के लिए उन्हे प्रोत्साहित करें, उन्हें पेड़-पौधे लगाने, पानी देना, पेटिंग करने, आर्ट बनाने या डांसिंग जैसी स्किल सीखने के लिए तैयार करें, जब बच्चे ऐसे काम करें तो उनकी तारीफ करें। साथ ही इस प्रकार के रचनात्मक कामों के लाभ के बारे में भी उन्हे जरूर बताएं।
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