बालोद: छत्तीसगढ़ में इन दिनों चारो ओर नगरीय निकाय चुनाव का चुनावी शोरगुल सुनाई दे रहा है। वहीं, सियासी गलियारों में चुनाव को लेकर सरगर्मी चरम पर है। लेकिन पूरे प्रदेश में तीन ऐसे वार्ड हैं, जहां न कोई पार्षद बनाता है और न ही कोई उम्मीदवारी की बात करता है। जबकि देखा जाए तो पार्षद उम्मीदवारी को लेकर कई कार्यकर्ताओं ने बगावती तेवर अपना लिया था।
दरअसल मामला छत्तीसगढ़ की उद्योग नगरी दल्ली राजहरा से लगे चिखलाकसा नगर पंचायत का है। इस नगर पंचायत के अंदर तीन ऐसे वार्ड हैं, जहां नगरीय निकाय चुनाव में कोई भी उम्मीदवार पार्षद पद के लिए सामने नहीं आया है। यही हाल पिछले पंचवर्षि य में भी रहा। पूरा पांच इन तीनों वार्डों में पार्षद का चुनाव नहीं किया गया।
बताया जा सकता है कि जब चिखलाकसा नगर पंचायत का निर्माण किया गया था, तब तीन ग्राम कारूटोला, कुंजामटोला और भोयरटोला को नगर पंचायत में शामिल किया गया था। लेकिन ग्रामीण इस बात से खुश नहीं थे। ग्रामीण इन तीनों वार्डों को नगर पंचायत से अलग कर ग्राम पंचायत का दर्जा दिया जाना चाहिए।
यहां के ग्रामीण चाहते हैं कि उन्हे ग्राम पंचायत मे मिलने वाली सुविधाएं चाहिए, चुकि तीनों गांव मे ज्यादातर किसान व रोजी मजदूरी करने वाले लोग निवास करते हैं। नगर पंचायत मे टैक्स अधिक लगता है। सरकार की जो योजनपा ग्राम पंचायत मे लागू है, उसे ज्यादा बेहतर मानते हैं। मूलभूत सुविधा के लिए यहां के लोग आज भी तरस रहे हैं। साल 2005 से यह स्थिति बनी हुई है और ग्रामीण शुरू से नगर पंचायत मे सम्मिलित नही होना चाहते है और इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन इन्हे आज तक कोई संतोषजनक हल नही मिल पाया।
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