छत्तीसगढ़ : कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने की तैयारी, गर्भवती महिलाओं, बच्चों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था पर जोर | Chhattisgarh: Preparations to deal with the challenges of a possible third wave of Corona Special arrangements for treatment of pregnant women and children

छत्तीसगढ़ : कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने की तैयारी, गर्भवती महिलाओं, बच्चों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था पर जोर

छत्तीसगढ़ : कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने की तैयारी, गर्भवती महिलाओं, बच्चों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था पर जोर

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:42 PM IST
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Published Date: May 13, 2021 1:59 pm IST

रायपुर।  लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री  टीएस सिंहदेव ने आज वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों और प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से कोरोना संक्रमितों के पोस्ट कोविड मैनेजमेंट पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने के लिए पुख्ता तैयारी के निर्देश दिए। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था बनाने कहा। स्वास्थ्य मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से एम्स रायपुर तथा प्रदेश के सभी नौ शासकीय मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाताओं और विशेषज्ञों से चर्चा कर कोविड-19 के इलाज के बाद मरीजों को आ रही शारीरिक तकलीफों और इससे उत्पन्न स्थिति की समीक्षा कर इसके बेहतर प्रबंधन के निर्देश दिए। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से कहा कि वे वर्तमान परिस्थितियों, कोविड मरीजों के इलाज व रिकवरी संबंधी तथ्यों एवं आंकड़ों का विश्लेषण कर बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए अपने सुझाव स्वास्थ्य विभाग को भेजें।   

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मंत्री सिंहदेव ने कोविड-19 के उपचार संबंधी आंकड़ों एवं प्रोटोकॉल का अध्ययन कर इसके इलाज से जुड़ी भ्रांतियों और अफवाहों को दूर करने कहा। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के लिए आवश्यक तैयारियों एवं संसाधनों की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के संबंध में आम धारणा है कि इससे युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पर यदि हम पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखें तो इससे प्रभावितों का पैटर्न लगभग एक जैसा है। भले ही अलग-अलग आयु वर्ग के कोरोना संक्रमितों की संख्या दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में अधिक है। कोरोना मरीजों के इलाज में दवाईयों के उपयोग को लेकर भी अनेक भ्रांतियां हैं। कई दवाईयों का अनावश्यक बहुत ज्यादा उपयोग भी देखने में आया है। इनके दुष्प्रभाव भी मरीजों में दिख रहे हैं।

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स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने बैठक में कहा कि कोरोना संक्रमितों के इलाज से जुड़े तथ्यों एवं आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण जरूरी है। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से कहा कि वे वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पोस्ट कोविड मैनेजमेंट की अपनी व्यवस्थाओं को बेहतर करें। कोरोना से ठीक हुए लोगों की पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के साथ इलाज और दवाईयों के उपयोग का मेडिकल ऑडिट किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर मेडिकल ऑडिट टीम बनाने का सुझाव दिया। डॉ. शुक्ला ने कहा कि कोरोना के इलाज में उपयोग की जा रही बहुत सी दवाईयां अभी प्रयोगात्मक (Experimental Drugs) स्तर पर हैं। इनका अनावश्यक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाताओं से अपने विशेषज्ञों को निर्देशित करने कहा कि वे मेडिकल जानकारी के आधार पर ही दवाइयां प्रिस्काइब करें।   
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एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन में प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है। दवाईयों के दुष्प्रभाव और इसके प्रयोगात्मक चरण को देखते हुए इनका बहुत सावधानी से उपयोग किया जाना चाहिए। लंबे समय तक चलने वाले वायरस संक्रमण में नए-नए स्टेन्स आते रहते हैं और इनके अनुरूप प्रोटोकॉल में बदलाव करना पड़ता है। गंभीर मरीजों के इलाज में वेंटिलेटर और आईसीयू की भूमिका को देखते हुए पर्याप्त संख्या में वहां काम करने वाले दक्ष व प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ जरूरी है।

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वीडियो कॉन्फ्रेंस में सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों ने कोरोना मरीजों के इलाज, संक्रमित गर्भवती महिलाओं, बच्चों के उपचार, आईसीयू और वेंटिलेटर के उपयोग के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक नीरज बंसोड़, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. आर.के. सिंह, एम्स के डॉ. अजॉय बेहरा, रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णु दत्त, सिम्स बिलासपुर की डीन डॉ. तृप्ति नागरिया, जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. यू.एस. पैकरा, राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. रेणुका गहिने, रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी.एम. लूका, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर. मूर्ति, कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. वाई.के. बड़गैंया, महासमुंद मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी.के. निगम और कांकेर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एम.एल. गर्ग ने भी अपने-अपने संस्थानों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ चर्चा में हिस्सा लिया।