नई दिल्ली। इसरो चीफ के सिवन ने नए साल में अपने अगले मिशन चंद्रयान के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान 3 प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है। प्रोजेक्ट के लिए लिए चार लोगों को चुन लिया गया है। इन चारों को ट्रेनिंग के लिए रूस भेजने की योजना है।
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सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 से उन्हें काफी कुछ सीख मिली है। और इसका फायदा चंद्रयान-3 में जरूर मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडिंग में सफल नहीं हो सके, अभी भी ऑर्बिटर काम कर रहा है। यह अगले सात सालों तक काम करेगा और हमें डाटा उपलब्ध कराएगा।’
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बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय में चेयरमैन के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर तो होंगे लेकिन ऑर्बिटर नहीं होगा। सितंबर में चंद्रयान-2 मिशन के जरिए ऑर्बिटर को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था। यह वैज्ञानिक आंकड़ा पृथ्वी पर भेज रहा है। हालांकि चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग के बाद रोवर को स्थापित नहीं किया जा सका।
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इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव है जहां पहले कोई चंद्रयान नहीं गया। ऐसा माना जाता है कि यहां क्रेटर्स के तौर पर पानी है। इसरो ने उम्मीद जताई थी कि बर्फ के तौर पर वहां मौजूद पानी की पुष्टि करेंगे जो इसने वर्ष 2008 में अपने मिशन में पहली बार खोजा था। केवल अमेरिका, रूस और चीन अब तक चंद्रमा की सतह पर पहुंचे हैं। पिछले साल बीजिंग ने एक मिशन किया था जो असफल रहा वहीं इजरायल का भी स्पेसक्राफ्ट सफल लैंडिंग नहीं कर सका।
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