चंबल की संसद बनाम चौसठ योगिनी मंदिर , भारतीय संसद की तर्ज पर बने मंदिर में देखने को मिलता है वास्तुकला और शिल्पकारी का अद्भुत नमूना | Chambal Parliament vs Chausath Yogini Temple A wonderful pattern of architecture and craftsmanship is seen in the temple built on the lines of Indian Parliament.

चंबल की संसद बनाम चौसठ योगिनी मंदिर , भारतीय संसद की तर्ज पर बने मंदिर में देखने को मिलता है वास्तुकला और शिल्पकारी का अद्भुत नमूना

चंबल की संसद बनाम चौसठ योगिनी मंदिर , भारतीय संसद की तर्ज पर बने मंदिर में देखने को मिलता है वास्तुकला और शिल्पकारी का अद्भुत नमूना

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:54 PM IST
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Published Date: April 14, 2020 1:28 pm IST

यूं तो चंबल के बीहड़ अब तक डाकूओं के लिए ही जाने जाते रहे हैं, लेकिन यहां सिर्फ डाकू ही नहीं बल्कि भारतीय वास्तुकला और शिल्पकारी के कई अद्भुत नमूने आबाद हैं । बीहड़ों में मौजूद एक प्राचीन चौसठयोगनी मंदिर इनमें से ही एक है। मुरैना से करीब 30 किमी दूर मितावली में स्थित इस मंदिर का हरेक कोना एक नए सच का उद्गघाटन करता है । यकीन मानिए जब आप पहली बार इस प्रचीन मंदिर को देखेंगे तो अंचभे में पड़ जाएंगे और बोल उठेंगे कि ये तो हूबहू भारतीय संसद की तरह है । तभी तो इसे कहा जाता है चंबल की संसद ।

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रहस्यों के चबूतरे…किस्सों का आंगन…अचंभे के खंभे…और कौतूहल से कमरे..ये सब मिल जाए तो बनता है…चौसठ योगिनी मंदिर । इतने सारी उपमा भी मुरैना स्थित इस प्राचीन मंदिर की महत्ता बताने के लिए काफी नहीं हैं । इस मंदिर को चंबल की संसद के रूप में भी जाना जाता है। मितावली का चौसठ योगनी मंदिर का हर कोना इतिहास के एक नए सच का उद्गघाटन करता दिखता है । मुरैना से 30 किलोमीटर दूर क़रीब 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है ये मंदिर । इस अद्भुत मंदिर को इकंतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । चौसठ योगनी मंदिर की त्रिज्या 170 फीट है। मंदिर की गोलाई में कुल 64 कमरे हैं । हर एक कमरे में एक-एक शिवलिंग स्थापित है। कहते हैं, कभी इन कमरों में भगवान शिव के साथ देवी योगनी की मूर्तियां भी स्थापित थीं । देवी योगनी की चौसठ मूर्तियों की वजह से ही इस मंदिर को चौसठ योगिनी के नाम से जाना जाता है । इस मंदिर का निर्माण 9 वीं सदी में प्रतिहार राजवंश ने कराया था ।

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चौसठ योगिनी मंदिर परिसर के बीचों बीच एक विशाल गोलकार शिव मंदिर है। मुख्य मंदिर में 101 खंभे कतारबद्ध खड़े हैं। लाल-भूरे बलुआ पत्थरों से बने इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि प्राचीन समय में ये मंदिर तांत्रिक साधना और अनुष्ठान का बड़ा केंद्र था । तंत्र शास्त्रों में भी इस मंदिर का ज़िक्र मिलता है ।

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बेजोड़ शिल्पकारी… और अनुपम वास्तुकला का एक बेहतर उदाहरण है मितावली का चौसठयोगनी मंदिर । सदियों बाद भी ये जस का तस खड़ा हुआ है। डकैतों और बागियों के लिए कुख्यात चंबल में ऐसे एक नहीं बल्कि कई मंदिर मौजूद हैं जो कि अपने गौरवशाली इतिहास की नुमाइंदी कर रहे हैं ।

 
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