रायपुर: देश में मई के महीने में 18 प्लस यानि 18 वर्ष से 44 साल तक लोगों के टीकाकरण की शुरूआत हो चुकी है, लोग इसे लेकर उत्साहित हैं। फैलते संक्रमण के बीच लोग तेजी से टीकाकरण कराने की इच्छा रखते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में फिलहाल 18 प्लस के टीकाकरण को रोक दिया गया है। कारण है हाईकोर्ट का निर्देश। प्रदेश सरकार के वैक्सीनेशन रोकने के फैसले पर विपक्ष हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि सरकार वैक्सीनेशन पर शुरू से सियासत कर रही है, तो वहीं सत्तापक्ष के मुताबिक केंद्र सरकार राज्य को पर्याप्त टीके ही उपलब्ध नहीं करा पा रही।
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वैक्सीन को लेकर छ्त्तीसगढ़ में सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का भूपेश सरकार पर आरोप है कि वैक्सीनेशन को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार गंभीर नहीं है, शुरू से ही सरकार इसको लेकर राजनीति करते आई है। पहले कोविशिल्ड वैक्सीन पर सवाल खड़ा कर उसे रोके रखा, फिर बाद में 18 प्लस के वैक्सीनेशन पर आरक्षण लागू कर दिया। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी सरकार से वैक्सीन को लेकर श्वेत पत्र जारी कर सरकार से वैक्सीनेशन प्रोग्राम की पूरी जानकारी मांगी है।
इधर बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है, इसमें कहीं कोई राजनीति नहीं की जा रही। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने उल्टे बीजेपी को घेरते हुए कहा कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ को वैक्सीन ही नहीं दे पा रही है, वैक्सीन छत्तीसगढ़ में नहीं बनती है। ऐसे में प्रदेश के भाजपा नेता घर में धऱना छोड़कर केंद्र पर बात कर दबाव बनाए, प्रदेश को वैक्सीन उपलब्ध कराएं ।
कुल मिलाकर इन बयानों से कन्फ्यूज प्रदेश का युवा वर्ग छत्तीसगढ़ में 18 प्लस के टीकाकरण के शुरू होने। खुद के वैक्सीन लगवाने का इंतजार कर रहा है। बड़ा सवाल ये कि अगर बात प्रदेश के लोगों की जान बचाने की है, उन्हें सुरक्षित करने की है तो फिर सियासत छोड़कर दोनों पक्ष मिलकर इस पर काम क्यों नहीं करते?
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