रायपुर: नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपे जाने का विरोध कर रही भूपेश सरकार ने नया दांव खेलते हुए विनिवेश की स्थिति में खुद खरीदने का ऐलान कर दिया है। विधानसभा में नगरनार के निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने के लिए लाए गए शासकीय संकल्प पर बोलते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इसकी घोषणा की। हालांकि बीजेपी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्लांट खरीदने के लिए पैसा कहां से आएगा।
अगर केंद्र सरकार NMDC के नगरनार संयंत्र का निजीकरण करती है तो उसे छत्तीसगढ़ सरकार खुद खरीदेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ये बयान ऐसे समय में आया है जब प्लांट का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और इसके डिमर्जर के बाद से निजीकरण के खिलाफ NMDC के कर्मचारी संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। खुद छत्तीसगढ़ सरकार भी नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपे जाने के फैसले का विरोध करती रही है। लेकिन विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में सदन में पेश शासकीय संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार इसका विनिवेश करती है तो प्लांट को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए राज्य सरकार इसे चलाएगी। सीएम के ऐलान के बाद विधानसभा में संकल्प को पारित किया गया। राज्य सरकार के इस ऐलान का सत्ता पक्ष ने स्वागत किया तो, वहीं विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार के पास धान खरीदने के लिए पैसा नहीं है तो नगरनार प्लांट कैसे खऱीदेगी।
बहरहाल 20 हजार करोड़ से अधिक की लागत से निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट को केंद्र सरकार ने NMDC से डिमर्ज करने का फैसला किया है, जिसका शुरू से ही छत्तीसगढ़ सरकार विरोध करती रही है। अब भूपेश सरकार ने बस्तर, आदिवासी अस्मिता और रोजगार का हवाला देते हुए नया दांव खेला है कि विनिवेश के हालात में छत्तीसगढ़ सरकार ही नगरनार संयंत्र चलाएगी। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि राज्य सरकार नगरनार प्लांट को खरीदने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाती है।