CG ki Baat: सरकार की दो टूक...हथियार छोड़ो! क्या नक्सली समस्या का आखिरी समाधान बातचीत ही है? | CG ki Baat: Bluntly the government ... Release the weapon! Is negotiation the ultimate solution to the Naxalite problem?

CG ki Baat: सरकार की दो टूक…हथियार छोड़ो! क्या नक्सली समस्या का आखिरी समाधान बातचीत ही है?

CG ki Baat: सरकार की दो टूक...हथियार छोड़ो! क्या नक्सली समस्या का आखिरी समाधान बातचीत ही है?

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:54 PM IST
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Published Date: December 17, 2020 6:26 pm IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में भारी मेंडेट से बनी भूपेश बघेल सरकार ने पूरी मजबूती से 2 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर लगातार सरकार के कामकाज और नीतियों की समीक्षा का दौर जारी है। प्रदेश में विकास की राह में भूपेश सरकार के लिए भी नक्सलवाद का नासूर बड़ी बाधा रही है। 2 साल तक सरकार ने आदिवासी बाहुल्य इलाके में विकास और विश्वास बढ़ाने के मोर्चे पर आगे बढने का बार-बार दावा किया। ये बहस भी बार-बार छिड़ी की नक्सलियों की मौजूदगी पिछली और अब की सरकार में कैसे देखी जाए। इसे लेकर विपक्ष स्पष्ट नीति ना होने के कई बार आरोप भी लगाता रहा है लेकिन अब राज्य की कांग्रेस सरकार ने दो टूक कह दिया है कि नक्सलियों से बात तभी होगी जब वो हथियार छोड़ेंगे।

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छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को 2 साल पूरे हो गए। इस मौके पर सीएम सहित पूरा मंत्रिमंडल चंदखुरी स्थित कौशल्या माता मंदिर पहुंचा और दूसरी सालगिरह का उत्सव मनाया। वैसे तो कम वक्त और सीमित संसाधनों में भूपेश सरकार ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है। लेकिन नक्सल मोर्चे पर उसकी नीति कभी खुलकर स्पष्ट नहीं दिखी, जिसे लेकर विपक्ष हमेशा से सवाल उठाता रहा है। राज्य सरकार के दो साल पूरे होने पर भूपेश सरकार ने बस्तर में नासूर बन चुके नक्सलियों पर अपना रूख साफ कर दिया है। राज्य सरकार ने नक्सलियों को दो टूक कह दिया है कि पहले नक्सली देश के संविधान पर विश्वास करें और हथियार छोड़ें तभी उनसे बातचीत होगी।

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एक ओर राज्य सरकार नक्सलियों से बातचीत को लेकर अपना रूख साफ कर चुकी है, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने आरोप लगाया कि नक्सल फ्रंट के लिए सरकार की कोई प्लानिंग ही नहीं है। दो साल में सरकार ने माओवाद की समस्या को दूर करने कोई पहल नहीं किया।

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जाहिर है नक्सलियों ने देश के सबसे सुंदर जगहों में से एक छत्तीसगढ़ के बस्तर को आतंक की आग में झोक दिया है। बस्तर में बीते 30 सालों में सिलसिलेवार नक्सल घटनाओं में सैकड़ों आम नागरिकों और जवानों ने अपनी जान गवाई है। हालांकि इसे जड़ से खत्म करने का दम भरने वाली सरकारों पर इनसे सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं। सवाल ये है कि क्या नक्सली समस्या का आखिरी समाधान बातचीत ही है या कोई और विकल्प है, जिससे छत्तीसगढ़ में शांति बहाल हो सके।

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