बिलासपुर: झीरम घाटी मामले में एसआईटी की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। दरअसल हत्याकांड की जांच कर रहे आयोग को तीन अन्य गवाहों के बयान दर्ज कराने की मांग को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिवों की टीम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर झीरम घार्टी हत्याकांड की जांच कर रहे जांच आयोग के समक्ष तीन अन्य गवाहों की गवाही कराने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा,पुत्री तुलिका कर्मा व अन्य लोगों का आयोग के समक्ष बयान दर्ज कराना जरूरी है। हत्याकांड के संबंध में इनके पास महत्वपूर्ण जानकारी है। जांच में आयोग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता। लिहाजा इनकी गवाही कराई जाए। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी के सिंगल बेंच में हुई।
प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस कोशी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आयोग की जांच पड़ताल अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। निर्धारित अवधि पूर्ण हो रही है। लिहाजा नए गवाहों को सुनने का निर्देश आयोग को नहीं दिया जा सकता।
गौरतलब है कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में झीरम घाटी हत्याकांड की जांच चल रही है। एक सदस्यीय आयोग के समक्ष अब तक पूरी गवाही हो चूकी है। गवाहों का प्रतिपरीक्षण का कार्य भी पूर्ण कर लिया है। पिछली सुनवाई के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव डॉ विवेक वाजपेयी व अन्य लोगों ने तीन अन्य प्रमुख गवाहों की गवाही के लिए आयोग के समक्ष आवेदन किया था। इसमें महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा व पुत्री तुलिका कर्मा के अलावा दो अन्य लोगों की गवाही का अनुरोध किया था। डॉ वाजपेयी ने अपने आवेदन में कहा था कि जांच पड़ताल कर रहे आयोग को इनकी गवाही से महत्वपूर्ण तथ्य मिल सकते हैं। लिहाजा इनकी गवाही की अनुमति दी जाएगी। आयोग ने पीसीसी के सचिव के आवेदन को अस्वीकार कर लिया था। आयोग द्वारा गवाही लेने से इन्कार किए जाने पर पीसीसी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आयोग को तीन अन्य लोगों की गवाही के लिए निर्देशित करने की मांग की थी। सुनवाई के बाद जस्टिस कोशी ने पीसीसी की याचिका को खारिज कर दिया है।
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