बिलासपुर: बस्तर राजपरिवार की निजी संपत्ति का बंटवारा कर बेचने के खिलाफ लगाई गई याचिका पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पुराने राजा की निजी संपत्ति मूल उत्तराधिकारी की है। कोर्ट ने राजा की बेची गई निजी संपत्ति के समस्त विक्रय पत्र को निरस्त कर वर्तमान उत्तराधिकारी को यह संपत्ति वापस देने का आदेश दिया है। याचिका पर चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच में सुनवाई की।
दरअसल बस्तर के वर्तमान राजपरिवार के उत्तराधिकारी कमल चंद भंजदेव के चाचा हरिहर चंद भंजदेव, देवेश चंद भंजदेव व राजा प्रवीर चंद भंजदेव की पत्नी वेदवती देवी ने राजा की निजी संपत्ति का आपसी समझौता से बंटवारा कर कई लोगों को बेच दिया था। इसके खिलाफ वर्तमान राजा कमलचंद भंजदेव ने पहले निचली अदालत फिर वहां से पक्ष में निर्णय न मिलने पर हाईकार्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि बस्तर में आज भी गद्दी परंपरा है। इसके तहत राजा के उत्तराधिकारी को गद्दी मिलती है। बस्तर राज परिवार की तीन तरह की संपत्ति है। इसमें कुछ संपत्ति राज्य की होती है, कुछ राजा का व्यक्तिगत व तीसरा राजा की निजी संपत्ति होती है। राजा को मिलने वाली निजी संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता है। राजा की निजी संपत्ति का उत्तराधिकारी हकदार होता है।
मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीठ ने आदेश पारित कर बस्तर राज परिवार की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि एक शासक को मिली संपत्ति दूसरे शासक के पास हस्तांतरित होगी। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत यह परिवार की संयुक्त संपत्ति नहीं है। जितनी भी संपत्ति बेची गई, पक्षकारों को उसे बेचने का अधिकार नहीं है।
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