नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले एक बार फिर नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा गरमाया गया है। एक दिन के बंगाल दौरे पर पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐलान कि सीएए जल्द लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते इसमें देरी हुई है। इसी के साथ बीजेपी की तैयारी बंगाल चुनाव में सीएए को मुद्दा बनाने की है।
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नड्डा के मुताबिक ‘आपको सीएए मिलेगा और मिलना तय है। अभी नियम बन रहे हैं। कोरोना के कारण थोड़ी रूकावट आई है। जैसे-जैसे कोरोना हट रहा है, नियम बन रहे हैं। ये मिलना तय है।’ बता दें कि इस कानून के तहत पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिक दी जाएगी।
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2021 विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर बंगाल के बीजेपी नेताओं और सामाजिक धार्मिक संगठनों के साथ बैठक में नड्डा ने राज्य में बीजेपी की सरकार बनने को लेकर विश्वास जताया। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी और मोदी जी की मूल नीति है- सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास। दूसरी पार्टियों कि नीति है- भेद डालो, समाज को बांटो, अलग-अलग करके रखो, अलग-अलग मांग करो और राज करो।’
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अगस्त के शुरुआत में ऐसी रिपोर्ट थी कि गृह मंत्रालय ने विवादित कानून के नियम बनाने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा है। सीएए के लागू होने को लेकर बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दल बीजेपी के बीच टकराव निश्चित है। टीएमसी ने न सिर्फ संसद बल्कि सड़कों पर भी कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।
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बता दें कि सीएए को लेकर काफी हंगामा हुआ था। देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए थे। बंगाल में भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। पश्चिम बंगाल देश के उन चुनिंदा राज्यों में था जहां सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कानून के खिलाफ हमेशा से मुखर रही हैं।
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नड्डा ने चुनावी राज्य बंगाल में सीएए लागू करने की बात कहकर स्पष्ट कर दिया है कि बीजेपी अभी भी विवादित कानून को लेकर अपने पुराने वादे पर कायम है। गृह मंत्री अमित शाह की बंगाल में राष्ट्रपति शासन की आशंका की टिप्पणी के साथ बीजेपी अध्यक्ष की इस घोषणा से साफ है कि बीजेपी बंगाल चुनाव में सीएए को मुद्दा बनाने वाली है।
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विवादित कानून इससे पहले भी राज्य में टीएमसी और बीजेपी के बीच तकरार का मुद्दा बन चुका है। ममता और उनकी तृणमूल कांग्रेस, राज्य में कानून के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं। वहीं बीजेपी कानून को लागू करने पर जोर लगाती रही है। इसी साल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके ममता सरकार ने कानून को लेकर अपना कड़ा रुख और मजबूत किया था।
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