ब्राजील के पीएम ने 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' को बताया 'संजीवनी बूटी', बोले हनुमान की तरह पीएम मोदी ने दी दवा | Brazil's PM calls 'hydroxychloroquine' 'Sanjeevani Booti', says PM Modi gives medicine like Hanuman

ब्राजील के पीएम ने ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन’ को बताया ‘संजीवनी बूटी’, बोले हनुमान की तरह पीएम मोदी ने दी दवा

ब्राजील के पीएम ने 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' को बताया 'संजीवनी बूटी', बोले हनुमान की तरह पीएम मोदी ने दी दवा

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:57 PM IST
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Published Date: April 8, 2020 11:27 am IST

ब्रासीलिया। ब्राजील ने हनुमान जंयती पर कोरोना वायरस महामारी के लिए आवश्यक बताई जा रही दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को ‘संजीवनी बूटी’ बताया है। ब्राजील ने इस दवा की सप्‍लाई के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्‍यवाद दिया है, साथ ही कहा है कि जिस तरह से हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण की जान बचाई थी उसी प्रकार पीएम मोदी ने हमे ये दवा दी है जिससे हमारे देश के लोगों के प्राण बचेंगे।

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बता दें कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सप्‍लाई के लिए पीएम मोदी को महान नेता बताया था। ब्राजील के राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और ब्राजील मिलकर इस महासंकट का सामना करने में सक्षम होंगे। कोरोना संक्रमण के इलाज में लाभदायक बताई जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए अमेरिका समेत दुनियाभर से मांग आ रही है।

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वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस का संक्रमण के सामने अमेरिका, इटली, स्पेन जैसे विकसित देशों ने भी घुटने टेक दिए हैं। खुद अमेरिका की नजरें अब मदद की आस में भारत पर टिकी हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर कोरोना से लड़ने के लिए सहयोग की मांग की थी। अमेरिका ने कोरोना से जंग के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की 29 मिलियन डोज खरीदी है। शुरू में भारत ने इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा द‍िया था लेकिन अब फिर से शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे दी है।

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कई देशों से आ रही मांग के बीच भारत ने कहा है कि वह मानवीय आधार पर यह दवा निर्यात करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि यह किसी भी सरकार का दायित्व होता है कि पहले वह सुनिश्चित करे कि उसके अपने लोगों के पास दवा या इलाज के हर जरूरी संसाधन उपलब्ध हों। इसी के मद्देनजर शुरू में कुछ एहतियाती कदम उठाए गए थे और कुछ दवाओं के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया था।