मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम मामले में सुनवाई करते हुए नाबालिग बहन से रेप करने वाले आरोपी की सजा रद्द करने का आदेश दिया है। मामले में कोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो कानून लागू करना बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदम है, हालांकि नाबालिगों के बीच सहमति से यौन संबंध बनाने की घटनाएं कानून के तहत अपरिभाषित है क्योंकि कानून की नजर में नाबालिग की सहमति वैध नहीं मानी जाती है। बता दें कि आरोपी लड़के पर अपनी नाबालिग चचेरी बहन के साथ दुष्कर्म का दोष साबित हुआ था। हालांकि जांच में पता चला है कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमती से बने थे। मामले में जस्टिस संदीप शिंदे की बेंच में सुनवाई हुई।
मिली जानकारी के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक युवक को अपनी नाबालिग बहन से रेप के मामले में जमानत दी है। बताया गया कि आरोपी पर नाबालिग से बार-बार रेप करने का आरोप था। घटना सितंबर 2017 की हैं, जब पीड़िता 8वीं कक्षा में थी और 2 साल से आरोपी के घर में रह रही थी। वहीं, मामले में जांच के दौरान सामने आए तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि जांच में यह पाया गया है कि दोनों के बीच संबंध सहमति से हुआ है और ऐसा एक बार नहीं बल्कि 4 से पांच बार हुआ है। तथ्यों को आधार मानकर कोर्ट ने आरोपी की सजा रद्द करते हुए उसे जमानत दे दी।
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गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने 19 जनवरी को अपने एक फैसले में कहा था कि किसी बच्ची की छाती को कपड़ों के ऊपर से स्पर्श करने को पॉक्सो कानून के तहत यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है। हालांकि चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अगुवाई वाली देश की शीर्ष कोर्ट ने इस फैसले पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी।
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Kiss ke liye fight: एक ही लड़के के लिए भिड़ी…
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