नईदिल्ली। बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार खय्याम का 92 साल की अवस्था में सोमवार को मुंबई के जुहू स्थित सुजॉय अस्पताल में निधन हो गया। सोमवार रात करीब साढ़े नौ बजे उन्होने अंतिम सांस ली। खय्याम सांस की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। पिछले एक हफ़्ते से आईसीयू में वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन की खबर से बॉलीवुड में शोक व्याप्त है।
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बता दें कि पंजाब के नवांशहर में जन्मे मोहम्मद जहूर खय्याम ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1947 में की थी। खय्याम ने ‘कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है’, ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ जैसे गानों की धुनें बनाईं। उन्होंने ‘कभी-कभी, उमराव जान, बाजार, नूरी, फुटपाथ, गुल बहार, त्रिशूल, फिर सुबह होगी, शोला और शबनम, शगुन, आखिरी खत, खानदान, थोड़ी सी बेवफाई, चंबल की कसम, रजिया सुल्तान जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था। इतना ही नहीं जब कभी खय्याम की बात की जाती है तो उनके गैर-फिल्मी गानों की खूब चर्चा होती है। असल में उन्होंने ‘बृज में लौट चलो’, ‘पांव पड़ूं तोरे श्याम’, ‘गजब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया’ जैसे गैर-फिल्मी गाने भी बनाए।
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2011 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था। इसके पहले 2007 में खय्याम को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड दिया गया। कभी कभी (1977) और उमराव जान (1982) के लिए खय्याम ने बेस्ट म्यूजिक का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था। खय्याम ने द्वितीय विश्वयुद्ध में एक सिपाही के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं।
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